छठ- दिल में सत श्री अकाल, जुबां पर छठी मैया का जयकारा
कटिहार। लोक आस्था का महापर्व छठ में बरारी प्रखंड क्षेत्र में सदभाव का पर्याय बन चुका है। य
कटिहार। लोक आस्था का महापर्व छठ में बरारी प्रखंड क्षेत्र में सदभाव का पर्याय बन चुका है। यहां रहने वाले लगभग सौ से ज्यादा सिक्ख परिवार भी आस्था व निष्ठा के साथ छठ करते हैं। छठ में सिक्ख समाज की इस सहभागिता से काढ़ा गोला गंगा घाट पर अनूठा नजारा रहता है। छठ घाट पर सदभाव का यह गंगा वर्षों से बह रहा है। इन परिवारों का विश्वास है कि यह महापर्व धर्म की सीमा से पार है। यह लोक पर्व है और इसमें धर्म कोई मायने नहीं रखता है।
निष्ठा में नहीं रहती कमी, नहाय खाय के साथ शुरु हो जाता निर्जला व्रत
सनातन धर्म के पालन करने वाले सिक्ख श्रद्धालु पूरी निष्ठा के साथ यह पर्व मनाते हैं। आम हिन्दू छठ व्रती की तरह ही नहाय खाय के दिन से उनका निर्जला व्रत आरंभ हो जाता है। क्षेत्र के बरंडी नदी व काढ़ागोला गंगा घाटों पर वे छठ पूजा करते हैं। जानकारी के अनुसार बरारी प्रखंड के करीब पांच हजार आबादी वाले सिक्ख समुदाय में सौ परिवारों द्वारा पूरे तन्यमयता व विधि विधान के साथ इसे मनाया जाता है। साथ ही साल दर साल इस पर्व से लोगों का जुड़ाव बढ़ता जा रहा है।
छठ मैया की महिमा अपरम्पार
पिछले कई वर्ष से छठ कर रही हुसैना गांव की सुमित्री कौर बताती है कि उनके पूर्वज ही यह पर्व होता रहा है और अब वे भी इस पर्व को पूरे विधि विधान से करते आ रही है। इसके अलावा लक्ष्मीपुर के सरदार प्रभुदयाल ¨सह, गुरूबाजार के सरदार कमल ¨सह बताते है कि छठ मैया से मांगी गई मन्नते पूरा होने पर उनके घरों में यह पर्व कई वर्ष से मनाया जा रहा है। छठ मैया की महिमा अपरम्पार है।