गो पालन के सहारे कृष्णा ने संवारी तकदीर
कटिहार। गो पालन जीविकोपार्जन का बढि़या जरिया बनता जा रहा है। खासकर ग्रामीण क्षेत्र में युवाअ
कटिहार। गो पालन जीविकोपार्जन का बढि़या जरिया बनता जा रहा है। खासकर ग्रामीण क्षेत्र में युवाओं का रुझान भी इस ओर बढ़ा है। इसी कड़ी में कोढ़ा प्रखंड के रौतारा पंचायत के कृष्णा मिश्रा भी गो पालन के जरिए अपनी जिदगी संवारी है। अचानक एक निजी कंपनी में लेखापाल की नौकरी छूटने के बाद उन्होंने गो पालन शुरु किया और आज बेहतर स्थिति में है। इससे अब उन्हें बेहतर आमदनी हो रही है और गृहस्थी की गाड़ी भी आराम से खींच रही है।
42 वर्षीय कृष्णा मिश्रा बताते हैं कि करीब 20 वर्षों से मुंबई में रहते हुए प्राइवेट कंपनी में बतौर एकाउंटेंट के पद पर कार्यरत था, परंतु नौकरी छूटने के उपरांत बेरोजगार हो गए। वापस घर आने पर गांव में दूध की किल्लत व शुद्ध दूध नहीं मिलने को लेकर उन्होंने इस व्यवसाय से जुड़ने का निर्णय लिया। चार अच्छे नस्लों की गाय से उन्होंने डेयरी का रोजगार शुरु किया। आज कृष्णा की डेयरी में जर्सी, फ्रीजियन व देसी नस्ल सहित कुल 10 गायें हैं। इससे रोजाना करीब 50 से 60 लीटर दूध का उत्पादन होता है। गाय के हरे चारे के लिए उन्होंने करीब डेढ़ एकड़ भूमि में चारा लगाया है। ताकि हरे चारे की समस्या ना हो। दूध का सुलभ बाजार उनके व्यवसाय को सहारा प्रदान कर रहा है। कृष्णा मिश्रा का कहना है कि वे एक वर्ष से गाय पालन के रोजगार से जुड़े हैं। कुछ माह बाद सौ लीटर से ज्यादा दूध उत्पादन की उम्मीद है। इसके उपरांत मुनाफा और बेहतर होगा।