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विशेष----त्योहारों के मौसम में बढ़ जाता है मिलावटी खाद्य सामग्रियों का कारोबार

खास बातें.. - मिलावटी खाद्य पदार्थ व कृत्रिम मिठाई का मानव स्वास्थ्य पर पड़ता है प्रतिकूल प्रभाव

By JagranEdited By: Published: Tue, 06 Nov 2018 01:34 AM (IST)Updated: Tue, 06 Nov 2018 01:34 AM (IST)
विशेष----त्योहारों के मौसम में बढ़ जाता है मिलावटी खाद्य सामग्रियों का कारोबार
विशेष----त्योहारों के मौसम में बढ़ जाता है मिलावटी खाद्य सामग्रियों का कारोबार

खास बातें..

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- मिलावटी खाद्य पदार्थ व कृत्रिम मिठाई का मानव स्वास्थ्य पर पड़ता है प्रतिकूल प्रभाव

- दूध के औसत उत्पादन से कई गुणा अधिक है खपत, कृत्रिम सामग्रियों को हाता है उपयोग

- विरले होती है खाद्य सामग्रियों की जांच, मानक के नाम पर पूरी होती औपचारिकता

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कोट - जिले में दूध के औसत उत्पादन से खपत कई गुणा अधिक है। ऐसे में मिलावटी व कृत्रिम खाद्य पदार्थों की खपत बढ़ जाती है। खोआ, पनीर व मिठाईयों में कृत्रिम दूध सहित कई रसायनों का प्रयोग किया जाता है। मिलावटी खाद्य सामग्री मानव स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालती है। इससे लीवर, आंत के साथ अन्य अंगों पर इसका प्रभाव होता है। मिलावटी खाद्य सामग्री के उपयोग से परहेज कर इससे बचा जा सकता है।

डा. डीएन झा, चिकित्सक कटिहार।

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नंदन कुमार झा, जासं, कटिहार : त्योहारों के मौके पर मिलावटी मिठाईयों और खाद्य सामग्रियों का कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है। त्योहारों के मौके पर मिठाईयों की कई अस्थाई दुकान खुलती है, जिनके पास न तो कोई प्रमाण पत्र होता है और न खाद्य सामग्रियों की बिक्री की अनुज्ञप्ति। ऐसे में मुनाफा कमाने के चक्कर में लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जाता है। जबकि इसकी रोकथाम से जुड़े अधिकारी भी त्योहारों के दौरान विशेष संज्ञान नहीं लेते हैं। मिलावटी खाद्य सामग्रियों के प्रयोग का मुख्य कारण उत्पादन के अनुरूप खपत का अधिक होना है। जिले में दूध के औसत उत्पादन से कई गुणा अधिक मिठाई की खपत है। ऐसे में दुकानदार मुनाफा कमाने और आपूर्ति के लिए मिलावटी खाद्य सामग्री व कृत्रिम उत्पाद से मिठाईयों का निर्माण करते है। खासकर त्योहारों के मौसम में दूध और मिठाई की खपत कई गुणा बढ़ जाती है। औसतन दो लाख लीटर दूध का होता है उत्पादन :

जिले में दूध का औसत उत्पादन दो लाख लीटर के करीब है। ऐसे में दूध, पनीर, खोवा व मिठाईयों में मिलावट के साथ ही विभिन्न रसायनों का प्रयोग किया जाता है। इसका विपरीत प्रभाव मानव स्वास्थ्य पर पड़ता है। त्योहारों के मौसम में इसकी खपत कई गुणा तक बढ़ जाती है। ऐसे में मिठाई और खाद्य सामग्री तैयार करने के लिए कृत्रिम दूध का प्रयोग किया जाता है। इसके निर्माण में यूरिया, टूथपेस्ट, सफेद खल्ली सहित कई अन्य खतरनाक रसायनों का प्रयोग किया जाता है। जो अलग अलग तरह से मानव स्वास्थ्य पर आघात करती है। मिलावटी खाद्य सामग्रियों के सेवन से पेट की बीमारियों के साथ ही लीवर आंत एवं अन्य अंगों पर प्रतिकूल प्रभाव होता है। बच्चों के सेहत पर पड़ता है प्रतिकूल प्रभाव :

मिठाई और ऐसी खाद्य सामग्री बच्चों की पहली पसंद होती है। त्योहारों के मौके पर इसका औसत सेवन बढ़ जाता है। मिलावटी खाद्य सामग्री और मिठाईयों में मिलावट व रसायनिक सामग्रियों का विपरीत प्रभाव तेजी से होता है। मिलावटी खाद्य सामग्री से बच्चों का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। मुख्य रूप से बीमार और कुपोषित बच्चों पर इसका असर अधिक होता है। इसके बचने के लिए परहेज और मिलावटी खाद्य सामग्रियों के प्रयोग नहीं कर इससे बचा जा सकता है। खाद्य सामग्री एवं मिठाईयां की खरीददारी प्रमाणिक दुकानों से कर मिलावट की संभावना से बचा जा सकता है। जांच के नाम पर होती है खानापूर्ति :

त्योहारों के मौसम में मिठाई एवं खाद्य सामग्री की कई अस्थाई दुकानें खुलती है। पर्याप्त मात्रा में दूध की आपूर्ति नहीं होने के कारण मिलावटी दूध का प्रयोग किया जाता है। दुकानदारों द्वारा बेरोकटोक मिलावटी खाद्य सामग्री एवं निम्न कोटि की वनस्पति से तैयार सामनों की बिक्री की जाती है जो मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। जांच को लेकर भी महज औपचारिकता बरती जाती है।


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