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विशेष - बेर की खेती से चमकी रवि की किस्मत

- तीन एकड़ में बेर की खेती कर कमा रहे बेहतर मुनाफा - एक एकड़ में लगती है 20 ह

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Jan 2019 12:43 AM (IST)Updated: Mon, 21 Jan 2019 12:43 AM (IST)
विशेष - बेर की खेती से चमकी रवि की किस्मत
विशेष - बेर की खेती से चमकी रवि की किस्मत

- तीन एकड़ में बेर की खेती कर कमा रहे बेहतर मुनाफा

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- एक एकड़ में लगती है 20 हजार की लागत, एक लाख तक की होती है आमदनी

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प्रवीण आंनद, संसू, सेमापुर (कटिहार) : बदलते परिवेश में सेमापुर के सिक्कट गांव निवासी युवा किसान रवि ने अपनी अनूठी किसानी से अलग पहचान बनाई है। उन्होंने इस क्षेत्र में बेर की खेती कर नया प्रयोग किया है। इससे उन्हें बेहतर आमदनी मिल रही है। आज इसके जरिए वे क्षेत्र के किसानों के लिए नजीर बन गए हैं। शिक्षित किसान रवि का रूझान शुरूआत से ही खेती की ओर रहा है। उन्होंने इसमें कुछ अलग प्रयोग करने का प्रयास किया और बेर की खेती शुरू की। उनके बागान से निकले बेर की डिमांडल सीमांचल सहित पश्चिम बंगाल तक है। बेहतर क्वालिटी के बेर के कारण व्यापारियों की भी विशेष डिमांड रहती है। इसके साथ ही चिप्स आलू, ओल सहित अन्य खेती के माध्यम से वे बेहतर मुनाफा कमा रहे हैं।

बांग्लादेश से मंगवाया था बेर का बीज :

रवि ने वर्ष 2017 में बेर का बीज बांग्लादेश से मंगवाया था। लगभग 30 हजार के बीज से उन्होंने तीन एकड़ में बेर लगाया था। जो अब लगातार फल दे रहा है। उन्होंने बताया कि एक एकड़ बेर की खेती में लगभग 20 हजार तक की लागत आती है और प्रति एकड़ एक लाख तक की आमदनी होती है। जबकि फल निकलने के बाद बागान की छटनी की जाती है जिससे जलावन भी उपलब्ध होता है।

अक्टूबर से शुरू होती है तैयारी :

बेर की बागवानी की तैयारी अक्टूबर महीने से शुरू की जाती है। इस दौरान पटवन और उर्वरक का छिड़काव किया जाता है। इस दौरान फूल और फल आना शुरू होता है। जबकि जनवरी से फलों की बिक्री प्रारंभ होती है और फरवरी के अंत तक फल निकलता है। उनकी अनूठी किसानी क्षेत्र के युवा किसानों के लिए प्रेरणा बन गई है।

क्या कहती हैं मुखिया :

पंचायत की मुखिया सोनी चौधरी ने बताया कि रवि ने किसानी में अलग प्रयोग किया है, जो क्षेत्र के लिए गौरव की बात है। अन्य किसानों को भी इसके लिए प्रेरित किया जा रहा है। उन्हें कृषि विभाग से प्रोत्साहित कराने की पहल की जाएगी।


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