दिवाली मनाएं पर पर्यावरण की भी करें रक्षा
संवाद सूत्र कटिहार वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ने से श्वसन तंत्र से संबंधित बीमारी एवं अन्य कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्या का सामना करना पड़ता है।
संवाद सूत्र, कटिहार : वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ने से श्वसन तंत्र से संबंधित बीमारी एवं अन्य कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्या का सामना करना पड़ता है। दीपावली में आतिशबाजी से धुआं और जहरीली गैस से वायु प्रदूषण का खतरा कई गुणा बढ़ जाता है। दीवाली को इको फ्रेंडली मनाकर पर्यावरण संरक्षण का काम करने के साथ ही उत्साह के साथ नए अंदाज में दीवाली मना सकते हैं।
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फोटो: 25 केएटी 16
दीपावली पर करोड़ों रुपये के पटाखों का कारोबार होता है। आतिशबाजी के कारण पर्यावरण प्रदूषण का खतरा बढ़ने के साथ ही अगलगी की भीषण घटना भी होती है। ग्रीन पटाखे से आतिशबाजी कर हम वायु प्रदूषण के स्तर को बहुत हद तक कम कर सकते हैं। इको फ्रेंडली दीवाली स्वयं मनाएं और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें। केरोसिन तेल से दीया जलाने से बचना चाहिए। घी, तेल के दीये व मोमबत्ती का उपयोग किया जा सकता है।
प्रो: राजीव कुमार सिंह, प्राध्यापक, एमजेएम महिला कालेज कटिहार
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फोटो : 25 केएटी 17
दीपावली का त्योहार भगवान राम के वनवास से अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है। परंपरागत तरीके से मनाया जाने वाला दीपावली पर्यावरण के अनुकुल होता था। आधुनिक समय में दीवाली पर आतिशबाजी के बढ़ते प्रचलन से प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। हवा की गुणवत्ता भी बड़े शहरों में सांस लेने योग्य नहीं रह जाती है। दीपावली पर आतिशबाजी से बचना चाहिए। ग्रीन पटाखा का उपयोग कर लोग इको फ्रेंडली दीवाली मनाएं। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले वस्तु व सामानों का उपयोग नहीं करने का संकल्प लिए जाने की जरूरत है।
डा. जीतेश कुमार, प्राध्यापक, केबी झा कालेज, कटिहार