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महंगाई की लौ में आलू-प्याज गुम गृहणियों में बढ़ती जा रही निराशा

कटिहार। कभी प्याज की कीमत पर देश की सियासत में भूचाल मचा था। आज प्याज के साथ आलू भी कहर

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 10:47 PM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 05:05 AM (IST)
महंगाई की लौ में आलू-प्याज गुम 
गृहणियों में बढ़ती जा रही निराशा
महंगाई की लौ में आलू-प्याज गुम गृहणियों में बढ़ती जा रही निराशा

कटिहार। कभी प्याज की कीमत पर देश की सियासत में भूचाल मचा था। आज प्याज के साथ आलू भी कहर ढा रहा है, मगर चुनावी महासंग्राम में इसकी चर्चा तक नहीं हो रही है। अन्य खाद्य सामग्रियों की कीमत में भी बेहताशा वृद्धि हो रही है, घरेलू बजट पूरी तरह बिगड़ चुका है। परिवार के मुखिया ही नहीं गृहणियां भी इससे पस्त हैं। ज्यादा निराशा इस बात को लेकर है कि यह चुनावी मुद्दा तक नहीं बन पा रहा है। इस पीड़ा पर मरहम लगाने का भरोसा तक कोई देने को तैयार नहीं है। चुनावी बहस बे-धारा हो रही है। गृहणियों का स्पष्ट मानना है कि यह सीधे-सीधे सर्वहित से जुड़ा मुद्दा है और इसमें डिग हांकने वाले राजनीतिक दलों को गंभीर होनी चाहिए। सरकार ऐसी दल की बननी चाहिए, जो आम लोगों का दर्द महसूस कर सके।

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क्या कहती हैं गृहणियां:

गौरी देवी कहती हैं कि कोरोना काल में वैसे ही लोगों की आमदनी घटी है। रोजगार कम हुए हैं। उपर से सब्जियों की बढ़ी हुई कीमत ने आम आदमी को और परेशान कर दिया है। किचन का बजट पूरी तरह बिगड़ गया है । घर चलाना मुश्किल हो रहा है। सरकार ऐसी बननी चाहिए जो महंगाई पर काबू पा सके। मंजू देवी ने कहा कि लॉकडाउन में भी इतनी महंगाई नहीं थी। दो माह से किचन के बजट में काफी बढ़ोतरी हुई है। आलू 20 रूपये की जगह 40 रूपये प्रतिकिलो बिक रहा है। प्याज 30 से बढ़कर 60 रुपए किलो हो गया है। सरसों तेल प्रतिकिलो 105 से बढ़कर 140 रूपये प्रतिकिलो बिक रहा है। आम लोगों की परेशानी चरम पर पहुंच गई है। इन समस्याओं पर गौर करने वाली सरकार बननी चाहिए। रानी सिंह व पारो देवी ने कहा कि इतनी महंगाई कोरोना काल में भी नहीं थी। उन्होंने कहा कि पूर्व में 15 सौ से दो हजार में घर चला लेती थी। वर्तमान में घर चलाने में पांच हजार भी कम पड़ रहे हैं। लोगों की यह पीड़ा पर कहीं से कोई आवाज नहीं आना दुर्भाग्यपूर्ण है।


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