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कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य, घरेलू झंझट भी बढ़ेंगे

खगड़िया। सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के हक में एक बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा है कि

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Aug 2020 11:58 PM (IST)Updated: Sat, 15 Aug 2020 06:11 AM (IST)
कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य, घरेलू झंझट भी बढ़ेंगे
कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य, घरेलू झंझट भी बढ़ेंगे

खगड़िया। सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के हक में एक बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा है कि पिता के पैतृक संपत्ति में बेटी का बेटे के बराबर हक है, थोड़ा सा भी कम नहीं। बेटी जन्म के साथ ही पिता की संपत्ति में बराबर का हकदार हो जाती है। देश की सर्वोच्च अदालत की तीन जजों की पीठ ने स्पष्ट कर दिया कि भले ही पिता की मृत्यु हिदू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून, 2005 लागू होने से पहले हो गई हो, फिर भी बेटियों को माता-पिता की संपत्ति पर अधिकार होगा। बेटी की मृत्यु हुई तो उसके बच्चे हकदार हैं। पिता की पैतृक संपत्ति में बेटी को अपने भाई से थोड़ा भी कम हक नहीं है। अगर बेटी की मृत्यु भी 9 सितंबर, 2005 से पहले हो जाए, तो भी पिता की पैतृक संपत्ति में उसका हक बना रहता है। इसका मतलब यह है कि अगर बेटी के बच्चे चाहें कि वो अपनी मां के पिता (नाना) की पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी लें तो वो इसका दावा ठोक सकते हैं, उन्हें अपनी मां के अधिकार के तौर पर नाना की पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी मिलेगी। उल्लेखनीय है कि 9 सितंबर, 2005 से हिदू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून लागू हुआ है। इसका मतलब है कि अगर पिता की मृत्यु 9 सितंबर 2005 से पहले हो गई हो तो भी बेटियों को पैतृक संपत्ति पर अधिकार होगा।

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फोटो कोट के साथ फोटो 2

कोर्ट की ओर से दिए गए फैसला सम्मानजनक है। इससे महिलाओं का भी सम्मान बढ़ा है। अब महिलाएं समाज में सिर उठाकर जी सकेगी। महिलाओं को अधिकार देकर सुप्रीम कोर्ट ने एक नई उर्जा प्रदान की है।

मनीषा देवी, मुखिया, पिपरा। === फोटो 3

सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को अधिकार देकर समाज में समान अधिकार दिया है। इससे महिलाएं और सशक्त होगी। कोर्ट ने बेटा व बेटी को समान अधिकार देकर सम्मानजनक संदेश दिया है। रीनू कुमारी, शिक्षिका, लालपुर।

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घरेलू झगड़े बढ़ेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने पिता की संपत्ति पर जन्म से ही बेटी का समान अधिकार देकर स्वागत योग्य निर्णय लिया है। लेकिन इस निर्णय से संपत्ति संबंधित झंझट बढ़ने की आशंका प्रबल होगी। यह बेटी पर निर्भर करता है कि वो अपने पिता की संपत्ति में हिस्सा ले या न ले। सोनाली चौधरी, फर्रेह, तेलौंछ। === ===

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यह अधिकार पूर्व से ही बेटियों को दिया गया है। इसमें कुछ संशोधन किया गया है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य है। पिता की संपत्ति पर जन्म से ही अधिकार देकर बेटा व बेटी को समान अधिकार प्राप्त हुए। इसका गलत फायदा न उठाएं। नहीं तो परिवार में क्लेश बढ़ेंगे। डॉ ऋचा कुमारी, सीएचसी चौथम।


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