रोहिया घाट पर गूंज रहा सवाल, आखिर कब लगेगी नैया पार
कटिहार। यह दर्द दशकों का है। चुनावी मौसम में लोगों का यह दर्द चर्चा में जरुर आता है, लेकिन चुनाव के
कटिहार। यह दर्द दशकों का है। चुनावी मौसम में लोगों का यह दर्द चर्चा में जरुर आता है, लेकिन चुनाव के बाद फिर शांत हो जाता है। महानंदा नदी पर रोहिया आजमनगर घाट पर पुल नहीं होने से प्रखंड के पांच पंचायत के लोग दशकों से प्रखंड मुख्यालय से अपने को कटे-कटे महसूस कर रहे हैं। दशकों से इस घाट पर पुल निर्माण की मांग को लेकर आंदोलन भी होते रहे हैं, लेकिन लोगों की आवाज नक्कारखाने में तूती की आवाज साबित होती रही है। अब भी महानंदा की धारा 50 हजार से ज्यादा की आबादी का रास्ता रोक बह रही है। प्रत्येक दिन काफी तादाद में लोग जान जोखिम में डालकर प्रखंड मुख्यालय तक का सफर तय करने को विवश है। नाव पर भेड़, बकरियों की तरह लदकर लोग महानंदा की धारा को नापते हैं। यद्यपि इस घाट पर पुल बनाने का भरोसा देने से कई लोगों की चुनावी वैतरणी पार होती रही है, लेकिन बड़ी आबादी की नैया मझधार में ही फंसी हुई है।
प्रखंड के कुल 28 में से पांच पंचायत अरिहाना, शीतलपुर, हरनागर, बैरिया व सिघौल को महानंदा की धारा प्रखंड मुख्यालय से काट देती है। ऐसे में इन पंचायत के लोगों के लिए महानंदा पार करने का एकमात्र साधन नाव है। इससे हर पल हादसे की आशंका भी बनी रहती है। परंतु लोग जान जोखिम में डाल नाव से नदी पार करने को विवश हैं। क्या कहते हैं लोग :
पूर्व मुखिया कृष्णानंद राय, संजीव राय, प्रदीप राय, मु. शाहबाज, मु. अबरार, प्रदीप घोष आदि ने कहा कि चुनावी मुद्दों में सबसे ऊपर अंकित कर वोट मांगने वाले हर नेता ने यहां के लोगों को पुल निर्माण का भरोसा देकर छला है। इस घाट पर उच्च स्तरीय पुल का निर्माण हो, यह हजारों लोगों की जरुरत है। वे लोग अपने दर्द का इजहार ही अबकी मतदान के जरिए करेंगे।