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कोरोना काल में एनीमिया से निबटना बड़ी चुनौती

कटिहार। कोरोना संक्रमण को लेकर लंबे समय तक लॉकडाउन का साइड इफेक्ट स्वास्थ्य पर ही ह

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 06:29 PM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 06:29 PM (IST)
कोरोना काल में एनीमिया से निबटना बड़ी चुनौती
कोरोना काल में एनीमिया से निबटना बड़ी चुनौती

कटिहार। कोरोना संक्रमण को लेकर लंबे समय तक लॉकडाउन का साइड इफेक्ट स्वास्थ्य पर ही होगा। मुख्य रूप से एनीमिया की शिकार महिलाओं और किशोरियों में समुचित पोषण के अभाव में एनीमिया का खतरा बढ़ेगा। बता दें कि एनीमिया से बचाव को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा किशोरियों के लिए आयरन की टेबलेट का वितरण विद्यालय, आंगनबाड़ी एवं अन्य स्तर पर प्रत्येक बुधवार को किया जाता था। लेकिन लॉकडाउन के कारण इसका वितरण प्रभावित हुआ है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के संकट से जूझ रही बड़ी आबादी दो वक्त के भोजन के लिए संघर्ष कर रही है। ऐसे में समुचित पोषण और आहार मिलना मुश्किल हो गया है।

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जानकारी के अनुसार, 64 प्रतिशत महिलाएं और किशोरी एनीमिया से ग्रसित हैं। महिला एवं किशोरियों को एनीमिया की कमी दूर करने को लेकर आंगनबाड़ी केंद्रों पर सबला योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। वही समय समय पर इस रोग से ग्रसित किशोरी एवं महिला को अस्पतालों में आयरन की गोली दी जाती है। लॉकडाउन के कारण आंगनबाड़ी सेविका, आशा कार्यकर्ता, एएनएम सहित स्वास्थ्य कर्मियों को कोरोना संक्रमण से बचाव कार्य में लगाया गया है। ऐसे में एनीमिया के मरीजों की संख्या बढ़ना तय है।

सबला योजना के तहत मिलती है ये सुविधा :

आंगनबाड़ी केंद्रों पर सबला योजना के तहत किशोरियों को सरकार 600 अतिरिक्त केलोरी, 18 से 20 ग्राम प्रोटीन प्रति दिन वर्ष में तीन सौ दिन तक दिया जाता है। किशोरियों को भोजन में पोषण की मात्रा सुनिश्चित की जाती है। किशोरावस्था के दौरान स्वच्छता, पोषण, प्रजनन, और यौन रोग की सलाह एएनएम के द्वारा दी जाती है। जबकि महिलाओं की स्वास्थ्य जांच का विशेष ध्यान रखने के साथ एनीमिया की शिकार किशोरी व महिलाओं को आयरन की गोली व पूरक आहार दिया जाता है।

किशोरी समूह का किया जाना है गठन :

यौन रोग व इससे जुड़े मिथक से उबारने को लेकर किशोरी समूह का गठन किया जाना है। जबकि उन्हें यौन रोग की सलाह के साथ उचित परामर्श दिया जाना है। जबकि महिलाओं को परिवार नियोजन एवं सुरक्षित मातृत्व को लेकर जागरूक किया जाना है। लॉकडाउन के कारण इस तरह की गतिविधि पर भी ब्रेक लगा हुआ है।


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