जागरण विशेष----सरकारी अनाज के फर्जी उठाव पर नजर रखेगा पॉस मशीन
खास बातें- - दिसंबर से पीडीएस दुकानों में पॉस मशीन का होगा इंस्टालेशन - अंगूठा लगाते ह
खास बातें-
- दिसंबर से पीडीएस दुकानों में पॉस मशीन का होगा इंस्टालेशन
- अंगूठा लगाते ही मुख्यालय तक अनाज उठाव की होगी जानकारी
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कोट:
जनवितरण प्रणाली की सभी दुकानों में पॉस मशीन लगाए जाने की योजना है। मुख्यालय स्तर से इसकी निविदा प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। दिसंबर माह से पीडीएस दुकानों में मशीन के इंस्टालेशन का काम शुरू किया जाएगा। लाभुकों का आधार संख्या भी पॉस मशीन से ¨लक किया जाएगा। इससे पीडीएस दुकानदारों द्वारा कागजों पर अनाज उठाव दिखाकर खाद्यान्न गबन करने पर रोक लगेगी।
प्रमोद कुमार, जिला आपूर्ति पदाधिकारी, कटिहार।
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नीरज कुमार, जासं, कटिहार: पीडीएस दुकानों से सरकारी अनाजों का गबन करने एवं फर्जी लाभुकों के नाम अनाज उठाव करने के मामले पर नकेल कसी जाएगी। खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने राज्य के सभी पीडीएस दुकानों में इसको लेकर पॉस मशीन लगाएगी। मुख्यालय स्तर से इसकी निविदा प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। दिसंबर माह से पीडीएस दुकानों में पॉस मशीन के इंस्टालेशन का काम शुरू किया जाएगा। पॉस मशीन को लाभुकों के आधार संख्या से ¨लक किया जाएगा। कार्डधारी लाभुक अनाज उठाव के लिए संबंधित पीडीएस दुकान पहुंचकर पॉस मशीन में अंगूठा दबाने के बाद ही अनाज का उठाव कर सकेंगे। लाभुक के अंगूठा दबाते हुए जिला स्तर से लेकर मुख्यालय तक आपूर्ति विभाग को उठाव किए गए मात्रा की जानकारी सहज ही मिल जाएगी। लाभुकों द्वारा उठाव किए गए अनाज की मात्रा घटाकर अगले माह के लिए पीडीएस दुकानों को आवंटित की जाएगी। जिले के 1531 पीडीएस दुकानों से 6.5 लाख से अधिक लाभुक अनाज का उठाव करते हैं। इनमें अंत्योदय के 54 हजार 381 तथा पीएचएस श्रेणी के 5.62 लाख लाभुक हैं। 86.07 प्रतिशत लाभुकों का आधार राशन कार्ड से जोड़ा जा चुका है। बताते चलें कि सूबे में फर्जी राशन कार्ड का मामला पकड़ में आने के बाद सभी जिलों में कार्डधारियों का सत्यापन के साथ ही आधार संख्या से राशन कार्ड को ¨लक किए जाने का निर्देश विभागीय स्तर से दिया गया था। कई पीडीएस दुकानदारों द्वारा गोदाम से उठाव किए गए खाद्यान्न का फर्जी तरीके से अनाजों का उठाव रजिस्टर पर अंकित कर हर माह हजारों ¨क्वटल अनाज का गबन कर लिया जाता था। पॉस मशीन लगाए जाने के बाद उठाव किए गए अनाज का लाभुकों के बीच वितरण पर सीधे नजर रखी जा सकेगी।