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प्रोत्साहन के बाद भी सिमट रहा दलहन उत्पादन का रकवा

संवाद सूत्र, कदवा (कटिहार) : दलहन की खेती को लेकर किसानों को जागरूक करने और इसके प

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Nov 2018 05:41 PM (IST)Updated: Wed, 21 Nov 2018 05:41 PM (IST)
प्रोत्साहन के बाद भी सिमट रहा दलहन उत्पादन का रकवा
प्रोत्साहन के बाद भी सिमट रहा दलहन उत्पादन का रकवा

संवाद सूत्र, कदवा (कटिहार) : दलहन की खेती को लेकर किसानों को जागरूक करने और इसके प्रोत्साहन के बाद भी दलहन की खेती में किसानों की दिलचस्पी नहीं दिख रही है। लागत के अनुरूप उत्पादन नहीं मिलने के कारण किसान दलहन की खेती से विमुख हो रहे हैं। फलाफल दलहन की खेती का रकवा साल दर साल सिमटता जा रहा है। बता दें कि महानंदा तटबंध के भीतर किसान व्यापक तौर पर दलहन की खेती करते थे। उपयुक्त मिट्टी और जलवायु के कारण दलहन की फसल खूब होती थी। लेकिन आधुनिक दौड़ में इसको लेकर किसानों को प्रोत्साहित नहीं करने और दलहन की फसलों का उत्पादन कम होने के कारण किसान दलहन के बदले मक्का व अन्य फसलों की खेती कर रहे हैं।

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प्रखंड के सिकोरना, भर्री, गोपीनागर, तेतालिया, चौनी, बिझरा सहित अन्य क्षेत्रों में चना, खेसारी, मटर, मूंग, अरहर सहित अन्य दलहन की खेती होती थी। महानंदा तटबंध के पार का क्षेत्र इसके लिए चर्चित था। लेकिन दलहन की खेती के वैज्ञानिक प्रयोग के अभाव और उन्नत कोटी के बीज उपलब्ध नहीं रहने के कारण किसान इससे विमुख हो रहे हैं। यद्यपि दलहन की खेती को लेकर किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है, लेकिन किसानों को दलहन की खेती रास नहीं आ रही है।

क्या कहते हैं किसान :

व्यापक तौर पर दलहन की खेती करने वाले किसान अखिलेश मंडल, मनोज मंडल, अजय देव, रंजीत ¨सह सहित अन्य किसानों ने बताया कि हाल के वर्षों में दलहन का उत्पादन प्रतिशत घटा है। सरकारी स्तर पर अनुदानित बीज उपलब्ध कराया जाता है, लेकिन लगात के अनुरूप लगातार मुनाफा घटने के कारण किसान इसकी खेती से परहेज करने लगे हैं।

क्या कहते पदाधिकारी :

इस संबंध में प्रखंड कृषि पदाधिकारी आशुतोष झा ने बताया कि दलहन की खेती का रकवा सिमट रहा है। किसानों को दलहन की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। वैज्ञानिक पद्धति का प्रयोग कर उन्हें उत्पादन बढ़ाने के गुर सिखाए जा रहे हैं।


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