Move to Jagran APP

नदी व तालाब में कीटनाशक के प्रयोग से विलुप्त हो रहीं मछलियां

- मखाना की खेती के लिए कीटनाशक का बढ़ रहा उपयोग ----------------------------------------

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Apr 2019 12:50 AM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2019 12:50 AM (IST)
नदी व तालाब में कीटनाशक के प्रयोग से विलुप्त हो रहीं मछलियां
नदी व तालाब में कीटनाशक के प्रयोग से विलुप्त हो रहीं मछलियां

- मखाना की खेती के लिए कीटनाशक का बढ़ रहा उपयोग

loksabha election banner

------------------------------------------------------------

संवाद सूत्र, कदवा (कटिहार) : लगातार नदी, नाले एवं तालाब में मखाना की खेती होने एवं विभिन्न रासायनिक खादों के साथ कीटनाशक का प्रयोग होने से देसी मछली लोगों की थाली से गायब हो रही है। देसी मछलियां अब विलुप्ति के कगार पर है। पहले क्षेत्र के हाट, बाजारों में पर्याप्त मात्रा में देसी मछली मिलती थी, जो अपने स्वाद के लिए जानी जाती थी। हाल के वर्षों में मखाना की खेती शुरु होने के साथ रासायनिक खादों एवं जहरीले रसायन के प्रयोग होने से कई देशी मछली अब विलुप्त हो गई है। पहले क्षेत्र में देसी रेहू, कतला, मोंगरी, सिघी, टेंगरा, पोपता, फल्ली सहित कई प्रकार की मछली प्रचुर मात्रा में मिलती थी। खासकर कल्याणी एवं नुनगरा डहर की मछली क्षेत्र में स्वाद के लिए विख्यात था, लेकिन अब अल्प मात्रा में ही इस प्रकार की मछली मिल पाती है। ऐसी मछलियां बाजार आते ही मुहं मांगी कीमतों पर बिक जाती है। ग्राहक पहले से हाट बाजार में देसी मछली के इंतजार में टकटकी लगाए रहते हैं।

क्या कहते हैं मछुआरे :

इस संबंध में मछुआ विमल महलदार, रतन महलदार, प्रकाश महलदार, मधुसूदन शर्मा आदि ने बताया कि पहले की अपेक्षा अब देसी मछली नहीं के बराबर मिलती है। इस कारण मछुआरों की आमदनी भी कम हो गई है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.