मुंडेश्वरी मंदिर में मौली बांधने की है परंपरा
¨हदू धर्म में किसी भी पूजा पाठ में कलाई में मौली बांधने की परंपरा प्राचीन काल से चली।
कैमूर। ¨हदू धर्म में किसी भी पूजा पाठ में कलाई में मौली बांधने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। मौली बांधने की परंपरा प्राचीन वैदिक परंपरा का अटूट अंग है। आज भी देश के अति प्राचीन मंदिर माता मुंडेश्वरी धाम में पहुंचे श्रद्धालु मां के चरणों में प्रसाद स्वरूप चढ़ा कर उसे मंत्रोच्चारण के साथ अपने कलाई, गला व कमर में बांधते हैं। ऐसी मान्यता है कि रक्षा बांधने से मां का आशीर्वाद सदैव भक्तों पर बना रहता है और किसी भी संकट में मां उनकी रक्षा करती हैं। यही कारण है कि दर्शन के बाद मौली बांधने वाले स्थल पर श्रद्धालुओं की भीड़ हमेशा लगी रहती है।
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फोटो फाइल 23 बीएचयू 10
मनोकामना पूर्ण होने पर श्रद्धालु कराते हैं हवन
संवाद सूत्र भगवानपुर कैमूर: भगवानपुर प्रखंड के रामगढ़ पंचायत में पवरा पहाड़ी पर स्थित आदि शक्ति के रूप में विख्यात माता मुंडेश्वरी के धाम में देश के कोने-कोने से आने वाले श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूर्ण होने के बाद घी का हवन करवाते हैं। वहीं मनोवांछित कार्य पूरा होने के बाद कोई बकरा की बलि तो कोई चुनरी तो कोई पीतल का घंटा बांधकर माता के चरणों में अपनी हाजिरी लगाता है।
धार्मिक स्थल पर हवन का है विशेष महत्व -
¨हदू धर्म में धार्मिक स्थलों पर धर्म में शुद्धिकरण करने का एक कर्मकांड है। बताया जाता है कि हवन कुंड में अग्नि प्रज्जवलित करने के पश्चात इस पवित्र अग्नि में फल, शहद, घी, लकड़ी इत्यादि पदार्थों की आहुति दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि हवन से रोग, दुख के प्रभाव से मुक्ति मिलती है तथा स्वास्थ्य एवं समृद्धि इत्यादि के लिए भी हवन लाभदायक है।
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लाइट खराब होने से श्रद्धालुओं को परेशानी
शारदीय नवरात्र का समय चल रहा है। भगवानपुर प्रखंड मुख्यालय से होकर देर रात तक श्रद्धालुओं का मुंडेश्वरी धाम तक आना-जाना लगा रह रहा है। ऐसे में भगवानपुर थाना चौक से सुवरन नदी तक सोन नहर कैनाल पर लगी लाइटों के नहीं जलने से श्रद्धालुओं को मुंडेश्वरी धाम आने-जाने में काफी परेशानी हो रही है।