कल तक थी घर में खुशियां, आज पसरा है मातम
कैमूर। बेशक जिंदगी का हर लम्हा नाजुक मोड़ से होकर गुजरता है। संभल गये तो ठीक वरना वह
कैमूर। बेशक जिंदगी का हर लम्हा नाजुक मोड़ से होकर गुजरता है। संभल गये तो ठीक वरना वह दिन जिंदगी का आखिरी दिन होता है। यह वाकया मोहनियां के वार्ड नंबर नौ के बड़ा बाजार निवासी कुमार गौरव के साथ हुआ, जब वह थोड़ी सी असावधानी के कारण मौत का शिकार हो गया। वैसे गौरव के परिवार में कल तक खुशियां ही खुशियां थी। मगर पल भर में माहौल मातम में पसर गया। गौरव हर दिन की भांति मोहनियां से सासाराम कोचिंग करने जाता था। मंगलवार को वह कोचिंग करने सासाराम गया था। परंतु लौटने के क्रम में वह दुर्घटना का शिकार हो गया। गौरव मोहनियां स्थित शारदा ब्रजराज स्कूल में इंटर अंतिम वर्ष का छात्र था। घटना की सूचना जैसे ही परिजनों व मुहल्ले वासियों को हुई। पूरा माहौल गम में डूब गया। दो भाईयों में गौरव छोटा था। बड़ा भाई कुमार सोनू, पिता श्याम जी सिंह बेटे की मौत के गम में डूबे हैं। बेटे की मौत से मां बेहोश थी। होश आने पर उनकी चित्कार जुटे लोगों को रोने पर मजबूर कर दे रहा था। परिवार के अन्य लोग उनकी सेहत को लेकर चिंतित दिखाई दिये। होश आने पर जब वे घर के दरवाजे की तरफ गौरव-गौरव कह कर दौड़ती तो वहां मौजूद लोग उन्हें पकड़ने का प्रयास करती। लेकिन बेटे की मौत से मां की स्थिति विक्षिप्त की तरह हुई थी। बेटे को पढ़ा-लिखा कर बड़ा आदमी बनाने के लिए मां बाप उसे अच्छी पढ़ाई दिलाने के लिए सासाराम भेजे। अपने मां-बाप के अरमानों को पूरा करने के लिए गौरव भी परिश्रम करने से पीछे नहीं हटता था। कोचिंग के लिए रोज का सासाराम आना -जाना। उसके बाद अच्छे नंबर लाने के लिए तैयारी करना। लेकिन समय के काल चक्र ने अपना प्रकोप परिवार पर इस तरह ढाया कि न ही मां-बाप के अरमान पूरे हो सके और न ही बेटा उनके अरमानों को पूरा करने के लिए दुनिया में रहा।