अब तक 28 कुपोषित बच्चों को एनआरसी में किया गया भर्ती
समाज कल्याण विभाग व आइसीडीएस की ओर से सितंबर माह में पोषण माह मनाने का निर्णय लिया गया है। सितंबर माह में आंगनबाड़ी केंद्रों पर कुछ न कुछ गतिविधि करनी है।
समाज कल्याण विभाग व आइसीडीएस की ओर से सितंबर माह में पोषण माह मनाने का निर्णय लिया गया है। सितंबर माह में आंगनबाड़ी केंद्रों पर कुछ न कुछ गतिविधि करनी है। इसको लेकर जिला आइसीडीएस विभाग की ओर से सभी बाल विकास परियोजना पदाधिकारी को निर्देश दिया गया है कि वे आंगनबाड़ी केंद्रों पर जाकर जांच करें। इस दौरान वे आंगनबाड़ी केंद्रों पर होने वाले बच्चों द्वारा गतिविधियों का भी रिपोर्ट तैयार कर लें। वहीं इस दौरान आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका, महिला पर्यवेक्षिका व बाल विकास परियोजना पदाधिकारी सेविका के पोषक क्षेत्र में अति कुपोषित बच्चों का चयन करेंगे। वहीं उसके सही पोषण को लेकर कवायद शुरू करेंगे। जिले में सितंबर माह में होने वाले पोषण माह के कार्यक्रम में कुपोषित बच्चों का चयन करने के अलावा आंगनबाड़ी केंद्र पर पोषण से संबंधित जानकारी भी दी जा रही है। जिसमें मौसमी फल, अंडा, दूध, मछली, के साथ साथ अन्य पोषक तत्व व मोटा अनाज का सेवन के बारे में जानकारी दी जा रही है। इसी क्रम में आंगनबाड़ी केंद्रों पर गोद भराई व अन्नप्राशन्न के कार्यक्रम के समय भी कई आवश्यक जानकारी दी जाती है। पोषण पुनर्वास केंद्रों में होता है इलाज-
जिले में चयनित कुपोषित बच्चों का इलाज जिले के सदर अस्पताल के पोषण पुर्नवास केंद्रों पर होता है। जिसमें मात्र 20 बच्चों के रखने का ही जगह है। अगर जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या का ज्यादा पता चले तो उनको अगला तिथि दिया जाता है। पोषण पुर्नवास केंद्र के एफडी पूनम वर्मा ने बताया कि केंद्र में बच्चों को रखने की संख्या 20 ही है। जहां उनका इलाज से लेकर उनके पोषण को देखते हुए पोषक तत्व से जुड़े हुए खाद्य पदार्थ दिया जाता है। अगर बच्चा ज्यादा कमजोर है। तो उसको 15 से 28 दिन तक पोषण पुर्नवास केंद्र में रखा जाता है। उन्होंने बताया कि सितंबर माह के एक से 15 सितंबर तक कुल 28 बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जो बच्चों के स्वास्थ्य ठीक हो जाता है तो उनको डिस्चार्ज करा कर उनको परिजन के साथ घर भेज दिया जाता है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पोषण पुर्नवास केंद्र में इन दिनों मात्र एक चिकित्सक ही इलाज के लिए आ रहे है। जबकि पोषण पुर्नवास केंद्र में दो चिकित्सक की ड्यूटी दी गई है। ऐसे होता है कुपोषित बच्चों का चयन-
जन्म से लेकर अगले पांच वर्ष तक बच्चों का समय समय पर वजन व उसकी लंबाई की माप की जाती है। पांच माह तक के उम्र में बच्चों के शरीर में विकास की गति धीमी रहती है। या बच्चा काफी पतला रहता है तो उसका चयन किया जाता है। बच्चों को कुपोषित चयन करने का काम केयर इंडिया व आइसीडीएस की ओर से किया जाता है। उसके बाद उनके पोषण के लिए सूची बनाकर जिला स्वास्थ्य विभाग को दिया जाता है। जहां परिजन को खुद आकर बच्चे को पोषण पुर्नवास केंद्र में इलाज करना होता है। क्या कहते हैं पदाधिकारी- विभाग की ओर से प्राप्त निर्देश के आलोक में पोषण माह को लेकर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित हो रहे है। इस दौरान कुपोषित बच्चों का चयन किया जा रहा है। संबंधित सीडीपीओ को निर्देशित किया गया है कि कुपोषित बच्चों का इलाज एनआरसी में कराएं।
डीपीओ आइसीडीएस, रश्मि कुमारी