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समस्याओं का दंश झेल रहा नगर का उर्दू मध्य विद्यालय

नगर के उर्दू मध्य विद्यालय की समस्याओं को देखने के बाद सरकारी तौर पर शिक्षा में गुणात्मक सुधार की बात बेमानी लगती है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Feb 2019 10:26 PM (IST)Updated: Sat, 09 Feb 2019 10:26 PM (IST)
समस्याओं का दंश झेल रहा नगर का उर्दू मध्य विद्यालय
समस्याओं का दंश झेल रहा नगर का उर्दू मध्य विद्यालय

नगर के उर्दू मध्य विद्यालय की समस्याओं को देखने के बाद सरकारी तौर पर शिक्षा में गुणात्मक सुधार की बात बेमानी लगती है। मोहनियां के वार्ड संख्या 11 में अवस्थित यह विद्यालय समस्याओं का दंश झेल रहा है। समस्या के समाधान के लिए तीन वर्षों से विद्यालय की तरफ से सीएम, डीएम से लेकर शिक्षा विभाग के सभी पदाधिकारियों तक गुहार लगाई गई। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। मध्य विद्यालय में पांच कमरों का दो मंजिला भवन है। भूतल पर तीन व ऊपर में दो कमरे हैं। इसमें से एक कमरे में कार्यालय चलता है। जिसकी लंबाई चौड़ाई इतनी कम है कि उसमें टेबल व कुर्सी रखने के बाद एक-दो अलमारी रखने की भी जगह नहीं बचती। यहां मात्र चार कमरों में विद्यालय में नामांकित 530 छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण करते हैं। यहां एक से लेकर आठवीं कक्षा तक पढ़ाई होती है। जीटी रोड से इस विद्यालय की दूरी करीब सौ फीट होगी। बरकत नगर की घनी आबादी में यह विद्यालय अवस्थित है। विद्यालय के कमरों में दिन में भी अंधेरा रहता है। विद्यालय से सटे मस्जिद है। जहां बराबर भीड़ रहती है। विद्यालय के तीन तरफ से रास्ता है। जिसे देखते हुए बरामदे के आगे दीवार का निर्माण कराया गया है। इस कारण विद्यालय में दिन में हीं अंधेरा रहता है। कार्यालय की पूरब दिशा में रास्ते की तरफ खिड़की खुलती है। उधर अतिक्रमणकारियों का कब्जा है। खिड़की के सामने बक्सा व अन्य सामग्री रखने के कारण कमरे में न तो हवा आती है नहीं प्रकाश। यही हाल सभी कमरों का है। जिस विद्यालय में मात्र चार कमरों में 530 बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हो तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि विद्यालय की क्या स्थिति होगी। छात्र-छात्राएं भेड़ बकरियों की तरह बैठकर शिक्षा ग्रहण करने की औपचारिकता पूरी करते होंगे। विद्यालय में मात्र एक शौचालय है। 36 वर्ष पहले 1983 में यह विद्यालय बनकर तैयार हुआ था। साढे तीन दशक बाद विद्यालय की दीवारों में दरारें पड़ गई हैं। जिसके कारण यह कभी भी ध्वस्त हो सकता है। फटी दरारों को भरकर काम चलाऊं बनाया गया है। बरसात में बारिश का पानी छत से चूकर कमरे में गिरता है। जिससे पठन-पाठन बाधित होता है। बारिश शुरू होने के बाद विद्यालय बंद करना शिक्षकों की मजबूरी है। विद्यालय में 14 शिक्षक शिक्षिका है।जिसमें शिक्षिकाओं की संख्या आधी है। सरकारी मानक के अनुसार 40 बच्चों पर एक कमरा व एक शिक्षक होने चाहिए।शिक्षकों की संख्या तो संतोष जनक है लेकिन कमरों की संख्या काफी कम है।विद्यालय की एचएम अफसाना जमाल ने बताया की उर्दू मध्य विद्यालय में समस्याओं का अंबार है। चार कमरों व बरामदे में 530 छात्र-छात्राओं को बैठाकर पढ़ाया जाता है। बच्चों की संख्या अधिक होने के कारण विद्यालय को दो शिफ्ट में चलाया जाता था। लेकिन ठंड की वजह से डीईओ कार्यालय द्वारा जारी आदेश के आलोक में अभी एक ही शिफ्ट में विद्यालय चल रहा है। विद्यालय में मात्र एक शौचालय होने से काफी दिक्कत होती है। 530 बच्चों पर एक शौचालय का होना बहुत बड़ी समस्या है। विद्यालय की समस्याओं के समाधान के लिए सूबे के मुख्यमंत्री को दो-दो बार पत्र लिखा गया है। वहीं कैमूर के जिलाधिकारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी व प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को भी लगातार पत्र भेजकर विद्यालय को समस्याओं से मुक्ति दिलाने की गुहार लगाई जा रही है। लेकिन अभी तक कहीं से कोई पहल नहीं हुई है। जाहिर है जिस विद्यालय में समस्याओं का अंबार हो वहां पठन-पाठन कार्य काफी चुनौतीपूर्ण है। क्या कहते हैं बीईओ -

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डीईओ कार्यालय भभुआ के आदेश के आलोक में उनके द्वारा दो दो बार उर्दू मध्य विद्यालय की की जांच कर उक्त कार्यालय को फोटोग्राफ के साथ रिपोर्ट भेजा गया है। वहीं सर्व शिक्षा अभियान के अभियंता ने भी अपना जांच प्रतिवेदन डीईओ कार्यालय को भेजा है। लेकिन राशि के अभाव में अभी तक आगे की कार्यवाही लंबित है। राशि उपलब्ध होते ही विद्यालय के समस्याओं का समाधान हो जाएगा।

- अनंत ¨सह, बीईओ


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