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गरीबों और वंचितों को दिला रहीं समानता का अधिकार

वह वंचित लड़कियों/महिलाओं की आवाज हैं। समाज में समग्र विकास लाने के लिए प्रयासरत हैं। क्षेत्रीय संस्कृति को संरक्षित करना और महिलाओं को सशक्त बनाना ही उनका मकसद है। आज उनके प्रयास से ही कैमूर जिले की महिलाएं सशक्त हो रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 03 Oct 2019 10:36 PM (IST)Updated: Fri, 04 Oct 2019 06:28 AM (IST)
गरीबों और वंचितों को दिला रहीं समानता का अधिकार
गरीबों और वंचितों को दिला रहीं समानता का अधिकार

रवींद्र वाजपेयी, भभुआ (कैमूर):

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वह वंचित लड़कियों/महिलाओं की आवाज हैं। समाज में समग्र विकास लाने के लिए प्रयासरत हैं। क्षेत्रीय संस्कृति को संरक्षित करना और महिलाओं को सशक्त बनाना ही उनका मकसद है। आज उनके प्रयास से ही कैमूर जिले की महिलाएं सशक्त हो रही हैं।

यह सब संभव हो रहा है जिले के बेतरी गांव निवासी डॉ. कमला सिंह के अथक मेहनत से। वर्ष 1952 में जन्मीं डॉ. कमला सिंह वर्ष 1989 में बनारस हिदू विश्वविद्यालय वाराणसी से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त कीं। उसके बाद महिलाओं को सशक्त बनाने, गरीबों व वंचितों को समानता का अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष शुरू किया। इस दौरान नौ वर्षो तक गरीब-गुरबों की सेवा कीं। वर्ष 1996 में सरदार वल्लभ भाई पटेल कॉलेज में राजनीति शास्त्र विभाग में व्याख्याता के पद पर नियुक्ति हुई। वर्ष 1992 में तिलौथु रूरल अपलिफ्ट क्लब द्वारा लीला सिंहा स्मृति पुरस्कार एवं ताम्रपत्र दिया गया।

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साक्षरता कार्यक्रम में

रहा विशेष योगदान

महिला शिक्षा एवं महिला सम्मान के प्रति समर्पित डॉ. कमला सिंह राज्य के शिक्षा एवं साक्षरता कार्यक्रम से जुड़ी रहीं। वर्ष 2008 में इन्हें राज्य संसाधन समूह का सदस्य शिक्षा विभाग बिहार द्वारा बनाया गया। इस दौरान इनके कार्य से प्रभावित सचिव अंजनी कुमार सिंह ने कई प्रशस्ति पत्र भी दिए। साथ ही बिहार सरकार उच्च शिक्षा विभाग द्वारा उत्तराखंड एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन नैनीताल में 6-10 अगस्त 2012 को साक्षर भारत कार्यक्रम की ट्रेनिग के लिए भी इन्हीं को भेजा गया। लगातार प्रयास और बढ़ रही ख्याति से प्रभावित होकर वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा के पहले सेमिनार महिला सशक्तीकरण सामाजिक राजनीतिक परिवर्तन सरदार वल्लभ भाई पटेल कॉलेज में कराने का कार्य सेक्रेटरी के रूप में इन्हें प्राप्त हुआ। इनके कार्य के कारण ही एसवीपी कॉलेज को यूजीसी नैक द्वारा बी ग्रेड मिला। आज भी विश्वविद्यालय के कई महाविद्यालयों को प्राप्त नहीं है। कई राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय सेमिनारों में भाग लेकर कई आलेख डॉ. कमला सिंह ने प्रस्तुत किया। इसके चलते अब तक कुल 14 डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त हुई है।

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1993 में बाल विज्ञान कांग्रेस

की बनीं जिला समन्वयक

वर्ष 1993 में राष्ट्रीय एवं प्रोद्यौगिकी संचार परिषद विज्ञान एवं तकनीकी विभाग भारत सरकार द्वारा प्रायोजित बाल विज्ञान कांग्रेस बिहार की जिला समन्वयक बनाया गया। विज्ञान की छात्रा न रहते हुए भी वैज्ञानिक सोच के कारण साइंस कॉलेज पटना की संस्तुति पर यह मौका डॉ. कमला सिंह को मिला। इसके बाद इनके द्वारा प्रत्येक वर्ष बच्चों का बाल विज्ञान कांग्रेस सफलतापूर्वक करवाती हैं। इसके बाद वर्ष 1994 से 1999 तक कृषि में महिलाओं के प्रबंध एवं शोध कमेटी का सदस्य बनाया गया।

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चार पुस्तकों का हो

चुका है प्रकाशन

वर्ष 2002 में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय रांची में 2004 में अपने रिफ्रेशर कोर्स के दौरान प्रस्तुत किए गए शोध पत्रों में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में मजदूर, किसानों की भूमिका, महिलाएं एवं पंचायती राज संस्था, कैमूर जिला के विशेष परिपेक्ष्य में नेहरू के समाजवादी एवं अंतर राष्ट्रवाद की अवधारणा प्रकाशित किए गए। इसके अलावा भारतीय साम्यवादी आंदोलन में फूट 1964 के सैद्धांतिक आधार पर चार पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।

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67 वर्ष की अवस्था

में भी प्रयास जारी

अब डॉ. कमला सिंह की आयु 67 वर्ष की हो चुकी है, लेकिन आज भी उनके मन में पुराना जज्बा व उत्साह अपने कार्य को लेकर है। आज भी महिलाओं को सशक्त बनाने व गरीबों-वंचितों को समानता का अधिकार दिलाने के लिए उनका संघर्ष जारी है। महिलाओं के साथ-साथ बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को जागरूक करने के लिए 67 वर्ष की अवस्था में भी गांवों का भ्रमण करती हैं। लेकिन उनके चेहरे पर थोड़ी भी थकान नहीं दिखती।


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