बौद्ध पर्यटकों को आकर्षित करने की योजना को धक्का
कर्मनाशा नदी पुल टूटने से वाहनों का आवागमन है प्रभावित - पदयात्रा करते हुए बोधगया व सारनाथ जा रहे बौद्ध पर्यटक संवाद सूत्र कुदरा दिल्ली कोलकाता राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या दो का कर्मनाशा पुल टूटने से बौद्ध पर्यटकों को आकर्षित कर
दिल्ली-कोलकाता राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या दो पर कर्मनाशा पुल टूटने से बौद्ध पर्यटकों को आकर्षित करने की सरकार की योजना को बड़ा धक्का पहुंचा है। बालू लदे ओवरलोड वाहनों की भरमार और खस्ताहाल सड़कों के चलते बोधगया से सारनाथ के बीच एनएच दो से यात्रा पहले से ही कष्टदायक थी। ऊपर से नदी पुल टूटने के चलते ट्रकों व बसों का परिचालन बंद हो जाने से विदेशी बौद्ध पर्यटकों की परेशानी और बढ़ गई है। स्थिति इतनी खराब हो गई है कि बौद्ध पर्यटक एनएच दो पर पदयात्रा करते हुए बोधगया व सारनाथ के बीच आते जाते देखे जा रहे हैं। मार्ग में ठहरने, खाने-पीने या शौच करने तथा सुरक्षा की समुचित व्यवस्था नहीं होने के चलते उनके चेहरे पर परेशानी का भाव स्पष्ट दिखाई दे जाता है। बताते चलें कि दुनिया भर के बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए चार तीर्थ स्थल लुंबनी, बोधगया, सारनाथ व कुशीनगर सबसे महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इनमें बोधगया बिहार में है, जबकि सारनाथ व कुशीनगर उत्तर प्रदेश में हैं। इन तीनों तीर्थ स्थलों तक आने-जाने के लिए दुनिया भर के बौद्ध धर्मावलंबियों को एनएच दो से होकर आना जाना पड़ता है। इनका महत्व इतना अधिक है कि भारत में आने वाला कोई भी बौद्ध पर्यटक इनके दर्शन के बिना वापस लौटने को सोच भी नहीं सकता है। बोधगया में भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, जबकि सारनाथ में उन्होंने अपना पहला सार्वजनिक उपदेश दिया था। यही कारण है कि बोधगया से सारनाथ के बीच एनएच दो को बौद्ध सर्किट का अहम हिस्सा माना जाता है। सरकार द्वारा विदेशी बौद्ध पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए बौद्ध सर्किट के विकास के लिए समय-समय पर प्रयास किए जाते रहे हैं। लेकिन दिल्ली कोलकाता राष्ट्रीय राजमार्ग के जरिए बिहार व उत्तर प्रदेश का सड़क संपर्क भंग होने के चलते बौद्ध पर्यटकों को आकर्षित करने की सरकार की योजना भी संकट में पड़ती दिख रही है। माना जा रहा है कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा कर्मनाशा नदी में बनाए जा रहे डायवर्सन के पूरा हो जाने के बाद ही विदेशी बौद्ध पर्यटकों के लिए यात्रा बहुत खुशगवार नहीं रहेगी। बड़ी तादाद में बौद्ध पर्यटक जापान, थाईलैंड आदि जैसे देशों से आते हैं जहां सड़क परिवहन की स्थितियां काफी बेहतर हैं। जानकार लोगों की मानें तो दरारों व गड्ढों से पटी सड़क तथा कामचलाऊ डायवर्सन से होकर तीर्थ यात्रा करने के बाद पर्यटक बुरे अनुभव के साथ अपने देश में लौटेंगे। उल्लेखनीय बात यह है कि अधिकांश विदेशी पर्यटक जाड़े के दिनों में ही आते हैं। नदी पुल ऐसे समय में टूटा है जो पर्यटन की ²ष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है।