सुविधाओं के अभाव से मरीजों का नहीं हो रहा समुचित इलाज
लोगों की बीमारी का इलाज जिस स्थान पर होता हो वह स्वयं बीमार हो तो स्वास्थ्य विभाग कितना सचेत है इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
लोगों की बीमारी का इलाज जिस स्थान पर होता हो वह स्वयं बीमार हो तो स्वास्थ्य विभाग कितना सचेत है इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। अन्य स्थानों पर स्थित सरकारी अस्पतालों की बात न भी की जाए तो कम से कम एनएच दो पर स्थित प्रखंडों में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर विभाग को ध्यान देना चाहिए। क्योंकि एनएच दो पर आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। जिसमें घायल होने वाले लोगों का इलाज कराने पहले पीएचसी में ही लोग पहुंचते हैं। लेकिन तब उन्हें काफी अफसोस होता है जब पीएचसी में घायल का समुचित इलाज नहीं हो पाता। विवश होकर घायल को परिजन लेकर दूसरे स्थान के अस्पताल में लेकर जाते हैं। कुछ ऐसा ही हाल इन दिनों दुर्गावती में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का है। यहां सुविधाओं के नाम पर जो संसाधन उपलब्ध होना चाहिए वह नहीं है। इसके चलते यहां मरीजों को कई तरह की परेशानी हो रही है। यहां सबसे बड़ी समस्या चिकित्सकों की कमी है। यहां कुल आठ चिकित्सकों के पद सृजित हैं। लेकिन मात्र तीन चिकित्सक ही कार्यरत हैं। जिनके द्वारा मरीजों का इलाज किया जाता है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बच्चों के लिए एंटीबायोटिक दवा नहीं है। न ही मरीजों को देने के लिए कैल्सियम की दवा। इस अस्पताल में खांसी का सिरप तक वर्तमान समय में भी नहीं है। दर्द की शिकायत लेकर आने वाले मरीजों को टैबलेट की जगह इंजेक्शन दिया जा रहा है। अस्पताल में छह बेड है। यदि किसी दुर्घटना में घायलों की संख्या अधिक हो जाती है तो फर्श पर लिटा कर चिकित्सक इलाज करते हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 33 प्रकार की दवा उपलब्ध होनी चाहिए। लेकिन वर्तमान समय में 28 दवाएं ही उपलब्ध हैं। इस अस्पताल में महिला चिकित्सक नहीं है। इसके चलते एएनएम के सहारे ही महिलाओं के प्रसव का कार्य कराया जाता है। यहां एएनएम का कुल 40 पद है। लेकिन मात्र 26 एएनएम ही कार्यरत हैं। इस संबंध में पूछे जाने पर पीएचसी प्रभारी डॉ. शांति कुमार मांझी ने बताया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की समस्याओं के बारे में वरीय पदाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। जितना संसाधन व कर्मी उपलब्ध हैं उनके माध्यम से मरीजों का समुचित इलाज करने का प्रयास किया जाता है।