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नवजात शिशुओं के इलाज में दवा की कमी से हो रही परेशानी

भभुआ सदर अस्पताल स्थित स्पेशल न्यू बर्न केयर यूनिट में भर्ती बच्चों के इलाज में दवाओं के कम होने से इलाज में परेशानी हो रही है। ओपीडी के दवा काउंटर पर नवजातों के इलाज में काम आने वाली दवाओं का फिलवक्त अभाव है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Sep 2021 12:08 AM (IST)Updated: Wed, 29 Sep 2021 12:08 AM (IST)
नवजात शिशुओं के इलाज में दवा की कमी से हो रही परेशानी
नवजात शिशुओं के इलाज में दवा की कमी से हो रही परेशानी

भभुआ: सदर अस्पताल स्थित स्पेशल न्यू बर्न केयर यूनिट में भर्ती बच्चों के इलाज में दवाओं के कम होने से इलाज में परेशानी हो रही है। ओपीडी के दवा काउंटर पर नवजातों के इलाज में काम आने वाली दवाओं का फिलवक्त अभाव है। इसका कारण अचानक इलाज को आने वाले नवजातों की संख्या में वृद्धि होना बताया जा रहा है। विभाग की माने तो औसतन शिशुओं की संख्या के आधार पर पूरे माह की दवा इंडेंट की जाती है। एसएनसीयू में वैसे तो 17 बेड है लेकिन फिलवक्त दो के वार्मर खराब है। मंगलवार को 15 बेड के माध्यम से कुल 25 नवजातों को इलाज के लिए भर्ती होना पाया गया। यूनिट में फिलवक्त नोडल पदाधिकारी सहित पांच चिकित्सक कार्यरत है। तीन पाली की ड्यूटी के हिसाब से उपलब्ध नौ एएनएम को कार्य करने में हो रही परेशानी को ध्यान में रखते हुए मंगलवार को उपाधीक्षक ने तीन जेएनएम की प्रतिनियुक्ति एसएनसीयू में कर दी है। यहा पर आक्सीजन की पाईप लाईन से आपूर्ति की व्यवस्था है लेकिन सदर अस्पताल में लगे आक्सीजन प्लांट से अभी एसएनसीयू को जोड़ा नही गया है। विभाग के अनुसार औसतन प्रतिमाह चार सौ शुशिुओं को भर्ती कर इलाज किया जाता है। लेकिन इस वर्ष जुलाई,अगस्त व सितंबर माह में इलाज को आनेवाले नवजातों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है। यहा पर श्वास व अन्य बीमारी से ग्रस्त व पीलिया ग्रस्त बच्चों के इलाज में अलग से सावधानी बरती जाती है। एसएनसीयू में भर्ती शिशुओं के परिजनों को रहने के लिए एक शेड की व्यवस्था की गई है। बगल की खाली भूमि पर परिजनों के रहने के लिए प्रस्तावित भवन निर्माण का कार्य अभी नहीं हुआ है। इसकी पुष्टि करते हुए नोडल पदाधिकारी डॉ माहताब खां ने कहाकि उपलब्ध संसाधन के आधार पर बेहतर इलाज करने का प्रयास चल रहा है। खराब वार्मर की सूचना मिलने पर मिस्त्री आकर बना जाते है।

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क्या कहते है अधिकारी-

इस संबंध में उपाधीक्षक डॉ विनोद कुमार ने बताया कि एसएनसीयू की ओपीडी वहीं चलती है। दवा की व्यवस्था वही रखी जाती है। कभी-कभी अचानक शिशुओं की संख्या में वृद्धि होने पर परेशानी होना स्वाभाविक है। इसकी भी वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी।

इनसेट

सावधानी बरतने से कम शिशु होंगे बीमार: डॉ अर्चना

जासं भभुआ: सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू में कार्यरत शिशुरोग चिकित्सक डॉ अर्चना द्विवेदी के अनुसार माताएं प्रसव पूर्व व बाद में थोड़ी सी सावधानी बरते तो शिशुओं के बीमार होने की संख्या कम होगी। उन्होंने बताया कि इसके लिए गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्वनियमित जांच व इलाज करानी चाहिए। इस दौरान स्वयं व गर्भस्थ शिशु को ध्यान में रखकर भोजन व आराम करते हुए सभी टीके लगवाने चाहिए। चिकित्सक ने प्रसव के बाद नवजात को स्वच्छ वातावरण में गर्म रखने व मां का दूध प्रति दो घंटे बाद पिलाना चाहिए। दूध पिलाने के बाद शिशु को थपकी जरूर दें। भूलकर भी बोतल का दूध न पिलाएं। निर्धारित समय टीका लगवाते रहें।


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