कैमूर जिले में 31 फीसद हुई धान की रोपनी, बारिश की आस में अभी भी किसान
जिले के किसानों पर इंद्रदेव मेहरबान नहीं हो रहे।
कैमूर। जिले के किसानों पर इंद्रदेव मेहरबान नहीं हो रहे। जून में सामान्य से अधिक बारिश हुई तो जुलाई में आसमान आग उगल रहा है, मानो गर्मी अपने पिक समय पर हो। जबकि वर्तमान समय में किसानों को पानी का दरकार है। पानी के अभाव में जुलाई के दूसरे पखवाड़े तक मात्र 31 फीसद धान की रोपनी ही हो पाई है। जबकि जुलाई के दूसरे पखवाड़े के शुरू होने तक करीब 60 फीसद से अधिक रोपनी हो जानी चाहिए थी। लेकिन बारिश नहीं होने से किसानों को परेशानी का सबब झेलना पड़ रहा है। आलम यह है किसान दूसरे के खेतों से पानी निकाल कर रोपनी कराने में लगे है। कहीं-कहीं पर तो ऐसे मामलों में मारपीट की तक नौबत आ जा रही है। हर दिन आसमान में बादल बनते है, लेकिन बिन बरसे ही निकल जाते है। बादल बनते ही किसानों के चेहरे खिल जाते है, लेकिन बिना बरसे बादलों के चले जाने के किसानों के चेहरे एक बार फिर मुरझा जाते है। बुजुर्ग किसानों को 1966 के अकाल की यादें तक आने लगी है। मजबूरन डीजल की बढ़े हुए दामों का बिना परवाह करते किसान डीजल पंप चलाकर खेतों में पानी भर रोपनी कराने में जुटे है। कृषि विभाग के मुताबिक जिले में 31 फीसद धान की रोपनी हो चुकी है। सोन नदी तथा दुर्गावती जलाशय से पानी छोड़े जाने के बाद भी पानी की मारामारी
जानकारी के मुताबिक रोहतास के इंद्रपुरी बराज से पानी छोड़ने के बावजूद भी कैमूर जिले में पानी की मात्रा कम पहुंच रही है। कई जगहों पर रोहतास में नहर को बांध कर खेती की जा रही है। थोड़ा पानी आता है तो नहर के आसपास के लोग खेती करने में उसका उपयोग कर ले रहे है। इस कारण ज्यादातर किसानों के खेत जैसे तैसे पड़े हुए हैं। जबकि दुर्गावती जलाशय से भी 200 क्यूसेक पानी बाएं तरफ की नहर में तथा 300 क्यूसेक दुर्गावती नदी में पानी छोड़ा गया है। यह पानी भी जिले के लोगों के लिए कम पड़ रहा है। पानी छोड़े जाने के बावजूद किसानों को मोटर, पंप, डीजल पंप आदि के सहयोग से खेतों में पानी भरने को मजबूर है। डीजल के बढ़े दाम भी इस बार किसानों भी हताश
जहां किसान बारिश न होने से परेशान है, तो दूसरी ओर सरकार ने भी डीजल व पेट्रोल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी कर किसानों को परेशान कर रही है। किसानों को करीब 97 रुपये प्रति लीटर डीजल खरीद कर डीजल पंप चलाकर खेतों में पानी भर रहे है। खेत की जोताई भी ट्रैक्टर मालिकों ने दो हजार रूपये प्रति एकड़ कर दिया है। खाद की कीमतों पर भी किसानों को अधिक पैसा देना पड़ रहा है। ---------
किस प्रखंड में कितना हुआ धान का रोपनी
प्रखंड - लक्ष्य - अधिप्राप्ति
भभुआ- 15762 - 3980
भगवानपुर- 7298 - 2315
चैनपुर - 9730 - 2690
चांद - 9243 - 2760
अधौरा - 2918 - 235
कुदरा - 12892 - 2570
मोहनियां - 15714 - 4765
दुर्गावती - 8270 - 2415
रामगढ़ - 10605 - 3190
नुआंव - 7784 - 3360 -------- इनसेट जिले में खाद की कमी, अधिक कीमत लेने पर होगी कार्रवाई संवाद सहयोगी,भभुआ: जिले के लगभग सभी गोदामों पर खाद की कमी है। खाद की कमी के कारण किसान परेशान हैं। खेतों में धान की रोपनी करा चुके किसान अब खाद के लिए सरकारी गोदामों पर चक्कर लगा रहे हैं। जबकि सरकारी गोदामों पर खाद की किल्लत का मामला सामने आ रहा है। जबकि जिले में खुदरा दुकानदार खाद की कीमत 300 रूपए से अधिक पर बेच रहे है। जबकि सरकारी गोदाम में खाद की कीमत 266.50 पैसा निर्धारित है। खुदरा दुकानदारों का कहना है कि उनको खाद अधिक दाम में मिलती है और उसको सासाराम से लाने में अधिक कीमत लगता है। इस कारण वो सब खर्च जोड़ कर ही खाद का बिक्री करते है। जबकि जिला कृषि पदाधिकारी रेवती रमन ने बताया कि सरकारी दर पर ही खाद बेचने के लिए निर्देश दिया गया है। उन्होंने बताया कि जल्द ही खाद की रेक आ जाने की उम्मीद है। उसके बाद सभी सरकारी गोदामों पर खाद की उपलब्धता हो जाएगी।