अपग्रेड होने के बाद नोनार हाईस्कूल को नहीं मिले शिक्षक
विद्यालय में नौवीं कक्षा में तीन व दसवीं में हैं मात्र चार छात्र - 62 लाख की लागत से बना है मल्टीस्टोरी भवन - शिक्षकों की कमी से पठन-पाठन हो रहा प्रभावित संवाद सूत्र रामगढ़
भवन तो यहां चकाचक है लेकिन शिक्षा की व्यवस्था का बुरा हाल है। नोनार अपग्रेड हाईस्कूल प्रखंड मुख्यालय से कुछ ही दूर पश्चिमी इलाके की सबसे बड़ी आबादी वाले गांव नोनार में अवस्थित है। सरकार द्वारा सुदूर इलाके के छात्र-छात्राओं को नौवीं व दसवीं की पढ़ाई की सुविधा पंचायत स्तर पर देने के लिए हाईस्कूल का निर्माण कराया गया है। 62 लाख रुपए की लागत से बना अपग्रेड हाईस्कूल ने अपना अस्तित्व खो दिया है। अपने स्थापना काल के तीन वर्षों से इस विद्यालय को शिक्षक नसीब नहीं हो सके। मिडिल स्कूल के शिक्षकों से इस विद्या के मंदिर को संवारने की कोशिश होती रही। वह भी अब खत्म हो गई है। दो वर्ष पहले इस हाईस्कूल में बगैर शिक्षकों के बीस से चालीस छात्रों का नामांकन होता था। लेकिन जब विद्यालय में शिक्षक ही नहीं आएंगे तो छात्र कैसे पठन पाठन करेंगे। इससे छात्र-छात्राओं की संख्या नौवीं व दसवीं में क्रमश: सिर्फ तीन व चार है। भवन चकाचक शिक्षा नदारद वाली स्थिति इस विद्यालय में बनी हुई है। जहां हाईस्कूल में पठन पाठन करने वाले छात्रों के लिए यह विद्यालय अभिशाप बनता जा रहा है। दर्जनों छात्र नामांकित होने के बाद भी इस विद्यालय से विमुख हो गए। अब सवाल यह उठ रहा है कि इतनी बड़े हाई स्कूल की मल्टी स्टोरी भवन बनाने के पीछे सरकार का मकसद क्या था। इसमे स्मार्ट क्लास की भी शुरुआत कर दी गई। सरकार के प्रावधान के अनुसार सभी हाई स्कूल व अपग्रेड हाई स्कूलों में स्मार्ट क्लास की शुरुआत हुई है। कंप्यूटर से लेकर प्रोजेक्टर की व्यवस्था की गई है। जिसके माध्यम से हाईस्कूल के छात्रों को हुनरमंद बनाना है। पर जब एक भी शिक्षक नहीं रहेंगे तो इस कंप्यूटर का संचालन कौन करेगा। ऐसी स्थिति में इन पर चोरी का खतरा भी बना रहेगा। शिक्षक नहीं आने के कारण मिडिल स्कूल के एचएम रवींद्र सिंह स्मार्ट क्लास में उन बच्चों को बैठाकर रिपोर्ट आन लाइन देते हैं। शिक्षक व छात्रों के नहीं आने के कारण हाईस्कूल के कमरे भी नहीं खुल पाते हैं। इस संबंध में पूछे जाने पर एचएम रवींद्र सिंह ने बताया कि मैं क्या कर सकता हूं। मिडिल स्कूल भी देखना है। हाईस्कूल के लिए एक भी शिक्षक नहीं अब तक यहां आए। शिक्षक आएंगे ही नहीं तो हाईस्कूल में बच्चे कैसे नामांकित होंगे। इस समस्या को लेकर रिपोर्ट कई बार किया जा चुका है।