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मुकदमें के बोझ को कम करने में कारगर राष्ट्रीय लोक अदालत

अदालत से पूर्व मध्यस्थ की सशक्त भूमिका निभा रही लोक अदालत - बीते दो वर्षो में दोनों पक्षों की सहमति से 7450 मुकदमों को हुआ निष्पादन जागरण संवाददाता भभुआ गांव व समाज में घटते हुए आपसी सरोकार के चलते लोगों में बढ़ते हुए तनाव के कारण छोटे- छोटे मसलों को भी लेकर वि

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 Feb 2020 05:17 PM (IST)Updated: Tue, 11 Feb 2020 05:17 PM (IST)
मुकदमें के बोझ को कम करने में कारगर राष्ट्रीय लोक अदालत
मुकदमें के बोझ को कम करने में कारगर राष्ट्रीय लोक अदालत

गांव व समाज में घटते हुए आपसी सरोकार के चलते लोगों में बढ़ते हुए तनाव के कारण छोटे- छोटे मसलों को भी लेकर विवाद बढ रहा है। इसके चलते अदालतों में मुकदमों का बोझ बढ़ता जा रहा है। लेकिन इस मुद्दे को ध्यान में रखकर न्यायमूर्तियों के स्तर से राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार का गठन किया गया। इसके जिला स्तर की इकाई के रूप में जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित जिला विधिक सेवा प्राधिकार के द्वारा स्थाई लोक अदालत न्यायालय में बढ़ते मुकदमों के बोझ को कम करने के लिए निरंतर लोक अदालत व राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से सकारात्मक पहल कर रही है। संभवत: इस अवधारणा को मूर्त रूप देने के क्रम में व्यवस्था को और सशक्त बनाने के लिए पिछले दिनों उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति शरद अरविद बोबडे ने वैश्वीकरण के युग में मध्यस्थता विषय पर आयोजित अंतर राष्ट्रीय सम्मेलन के अपने संबोधन में कहा है कि मुकदमे से पूर्व अनिवार्य मध्यस्थता वाले कानून के लिए यही सही वक्त है। इससे स्पष्ट है कि वर्तमान में चल रही आपसी सुलह के आधार पर मुकदमों के निष्पादन कराने की चल रही व्यवस्था आने वाले दिनों में विवाद के बाद मुकदमे से पूर्व मध्यस्थ के रूप में कार्य करके मामले को समाप्त कराने की भी भूमिका अदा करेगी।

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बीते दो वर्षो के आयोजनों में कितने मामलों का हुआ निष्पादन- एसीजेएम सप्तम सह जिला विधिक सेवा प्राधिकार के प्रभारी सचिव रोहित श्रीवास्तव ने बताया कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह विधिक प्राधिकार के अध्यक्ष के मार्ग दर्शन में वर्ष 2018 में पांच व वर्ष 2019 में चार व वर्ष 2020 में अब तक एक राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन व्यवहार न्यायालय परिसर में किया गया है। इसके माध्यम से विभिन्न बैंक, टेलीफोन, बिजली आदि विभागों व कोर्ट के लंबित 7450 मुकदमों का दोनों पक्षों की सहमति से निष्पादन किया गया है। इस वादों के निष्पादन के समय काफी राजस्व का समझौता व आन द स्पाट वसूली भी हुई है। इस तरह के वाद निष्पादन में किसी पक्ष की जीत या हार नहीं होती। क्योंकि दोनों पक्ष की सहमति ही निष्पादन का आधार है। इसके अलाव विधिक जागरूकता शिविरों का आयोजन करके लोगो को विधिक जानकारी मुहैया कराकर उन्हें जागरूक बनाने का क्रम जारी है। इसमें पैनल अधिवक्ता व पारा लीगल वालंटियरों का भी सहयोग लिया जा रहा है।


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