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मरम्मत के अभाव में बदहाल है जगजीवन स्टेडियम

संवाद सहयोगी,भभुआ: जिला मुख्यालय में स्थित नगर के जगजीवन स्टेडियम की हालत बहुत ही बदहाल

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Sep 2018 04:37 PM (IST)Updated: Mon, 03 Sep 2018 04:37 PM (IST)
मरम्मत के अभाव में बदहाल है जगजीवन स्टेडियम
मरम्मत के अभाव में बदहाल है जगजीवन स्टेडियम

संवाद सहयोगी,भभुआ: जिला मुख्यालय में स्थित नगर के जगजीवन स्टेडियम की हालत बहुत ही बदहाल है। स्टेडियम में किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं है। जिससे खिलाड़ियों को भी परेशानी झेलनी पड़ रही है। मूलभूत सुविधा के नाम पर स्टेडियम में सिर्फ शौचालय बना है। इसके अलावा शुद्ध पेयजल के लिए भी स्टेडियम में कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। खिलाड़ियों की मानें तो स्टेडियम में अभ्यास करने के लिए भी कोई सुविधा नहीं है। हल्की बारिश होने पर स्टेडियम पूरा कीचड़ से लबालब हो जाता है। जिससे उसमें टहलने लायक तक नहीं रहता। इसके अलावा जगजीवन स्टेडियम में भी कोई विशेष प्रकार की सुविधा नहीं है।

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छत से टपकता है पानी: नगर के जगजीवन स्टेडियम में बना भवन के प्रथम तल पर छत से पानी टपकता है। पानी टपकने से कई समान खराब हो रहे हैं। इसके अलावा खेल व अन्य कार्यक्रम को देखने के लिए शेड लगाकर कुर्सी लगाई गई है। जिसमें से काफी संख्या में कुर्सियां टूटी हुई है। टूटी हुए कुर्सी की मरम्मत अब तक नहीं हुई। कुर्सियों के टूटे होने से लोग वहां पर खड़े होकर गैलरी से कार्यक्रम व खेल आदि देखते हैं। वहीं कुर्सियों की साफ-सफाई नहीं होने से उस पर धूल जमा रहता है। इसके अलावा छत से पानी टपकने से कुर्सियों पर गंदगी बैठ चुकी है। कुल मिलाकर कुछ कुर्सी को छोड़कर बैठने लायक तक नहीं है। इसके अलावा टूटी कुर्सी को भी वहीं पास में एकत्रित कर के रख दिया गया है। साथ कई सामान अव्यवस्थित ढ़ंग से रखा गया है।

खेल कार्यालय व बाल विकास परियोजना का है कार्यालय: जगजीवन स्टेडियम के भवन में विभाग के पास मकान नहीं होने से दो विभाग के कार्यालय भी संचालित होते है। जिसमें खेल कार्यालय और सदर प्रखंड की बाल विकास परियोजना कार्यालय संचालित होते है। जिसमें हर दिन सैकड़ों लोग विभाग आते जाते है। हालांकि बाल विकास परियोजना कार्यालय पर तो कुछ ठीकठाक है। लेकिन खेल कार्यालय के पास कई टूटे सामान रखे है। जिससे खिलाड़ियों को चोट लगने की आशंका रहती है।

एक दिन के लिए छह हजार रूपये है चार्ज: जगजीवन स्टेडियम में किसी निजी काम के लिए चार्ज देना होता है। इसके लिए कमेटी द्वारा छह हजार रूपये तय किया गया है। स्टेडियम के कमेटी में जिला के कई वरीय पदाधिकारी है। इसके अलावा कोई विभागीय कामकाज के लिए निश्शुलक है।

सांसद ने भी विकास के लिए भरी थी हामी: दिल्ली के सांसद व भोजपूरी गायक सह अभिनेता मनोज तिवारी ने जगजीवन स्टेडियम में चार बड़ी एलईडी लाइट लगाने के लिए बात कही थी। उन्होंने 2015 में जिला दिवस पर कार्यक्रम में शामिल होते हुए कहा थी राज्य सरकार को हम चिट्ठी लिख कर बल्ब लगावाएंगे। जिससे स्टेडियम में रात्रि मैच व रात कई कार्यक्रम में सहयोग मिलेगा। उन्होंने बिजली और सौर उर्जा दोनों से जलने वाले बल्ब लगाने की बात कही थी। लेकिन सांसद की यह बात हवा में ही उड़ गई। न तो तीन साल में बल्ब लगा और न ही कोई सुविधा उपलब्ध हो पाई।

चार लाख रूपये से बना था रे¨लग व कई सामान: नगर के जगजीवन स्टेडियम में बने मकान का तत्कालीन सांसद मुनीलाल ने मरम्मत आदि के लिए कार्य किया गया था। सांसद क्षेत्रीय विकास मद से करीब चार लाख रूपये से स्टेडियम के रे¨लग गैलरी व पवेलियन आदि बनवाया गया था। जिसमें ग्रामीण विकास प्रमंडल ने काम कराया।

क्या कहते है पदाधिकारी: इस संबंध में पूछे जाने पर एसडीएम अनुपम ¨सह ने जानकारी देते हुए बताया की जिला की बैठक में मरम्मत के लिए मुद्दा उठा था। इसके लिए भवन प्रमंडल को पत्र लिखा गया है।

क्या कहते है भवन प्रमंडल कार्यपालक अभियंता: इस संबंध में पूछे जाने पर भवन प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता प्रेम कुमार चौधरी ने जानकारी देते हुए बताया की विभाग को पत्र प्राप्त हुआ है। भवन की मरम्मत के लिए जेई स्टीमेट बनाने व इस बात

को लेकर खेल उपाधीक्षक के पास भेजा जाएगा। जिससे स्टीमेट बने। भवन आदि की मरम्मत के लिए खेल विभाग के पास से ही राशि खर्च करना है।

क्या कहते है खेल उपाधीक्षक: इस संबंध में पूछे जाने पर खेल उपाधीक्षक ओमप्रकाश ने जानकारी देते हुए बताया की जेई से मिलकर स्टीमेट जल्द ही बनाया जाएगा। इसके बाद स्टीमेट की कॉपी को जिलाधिकारी के द्वारा कला संस्कृति विभाग को भेजा जाएगा।

क्या कहते है सदस्य: इस संबंध में पूछे जाने पर फुटबॉल संघ के जिला उपाध्यक्ष व खेल प्रेमी बीरजू पटेल ने जानकारी देते हुए बताया स्टेडियम में सुविधा की घोर कमी है। जिला प्रशासन इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। स्टेडियम में मेडिकल, शुद्ध पेयजल, व कई प्रकार सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए।


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