कोरोना काल में परेशान है जनता, मंत्री विधायक को नहीं है चिता
कैमूर जिला पुरी तरह कृषि आधारित है। लेकिन यहां राजनीतिक माहौल अन्य जिलों से कम नहीं।
कैमूर जिला पुरी तरह कृषि आधारित है। लेकिन यहां राजनीतिक माहौल अन्य जिलों से कम नहीं। यहां के इतिहास में भी ऐसे कई लोग हुए हैं जिन्होंने अपने राजनीति कार्यकाल के दौरान जनता की सेवा में अपना पुरा समय दे दिया। चाहे वह किसी संकट का दौर रहा हो। इसके चलते वह समय आज भी लोगों के दिल व दिमाग में है। लेकिन आज की राजनीति कर रहे लोग जनता की सेवा तो दूर संकट के समय में जनता का हालचाल भी पूछना भूल गए हैं। इन दिनों कोरोना के चलते जनता त्रस्त है। कैमूर जिले में भी गरीब व असहाय परेशान हैं। लेकिन यहां के विधायक, मंत्री, प्रभारी मंत्री व सांसद एक दिन भी दिखाई नहीं दिए। उनके हाथों राहत सामग्री लेने के लिए जनता आस लगाए हुए हैं। बड़ी बात है कि कैमूर जिले में चार विधायक है। जिनमें एक सरकार में मंत्री भी है। लेकिन गरीबों में न तो राशन का वितरण किए और न ही हालचाल लेने पहुंचे। सत्ता पक्ष को छोडिए विपक्ष भी इस मुद्दे से गायब है। कोरोना के आने से पूर्व मंत्री जी की गाड़ी हर दूसरे दिन सायरन बजाते हुए निकलती थी। तब लोग यह सोचते थे कि मंत्री जी क्षेत्र में काफी समय दे रहे हैं। लेकिन कोरोना के बिहार में दस्तक देने पर लॉकडाउन के बाद कोई नहीं दिखा। कोरोना में कैमूर जिले की क्या स्थिति है इसके बारे में अब तक प्रभारी मंत्री ने भी कोई सुधि नहीं ली। यहां दो-दो संसदीय क्षेत्र है। दोनों सांसद अपने कोष से राशि देकर चुपचाप बैठ गए हैं। अन्य समाजसेवी व मुखिया आदि जनप्रतिनिधि जनता की सेवा अपने सामर्थ्य के अनुसार कर रहे हैं। लेकिन विधायक व मंत्री का सामर्थ्य भी इस कोरोना काल में पता चल गया। उनके गायब होने से यह स्पष्ट है कि उन्हें जनता को सुरक्षित रखने की बजाए स्वयं की सुरक्षा की चिता अधिक है। यह लोगों के बीच चर्चा का विषय भी बना हुआ है। लोगों के बीच यह चर्चा विधानसभा में पहुंचने का सपना रखने वालों के लिए भारी पड़ सकता है।