अतिक्रमण से अतरवलिया गांव के तालाब के अस्तित्व पर संकट
स्थानीय प्रखंड के अतरवलिया गांव के तालाब की जमीन हड़पने के लिए ग्रामीणों में होड़ मची है। इसका नतीजा है कि 15 एकड़ रकबा वाले इस बड़े जलस्रोत का अस्तित्व मिटने के कगार पर है। यह तालाब कभी गांव के किसानों के सिचाई का बड़ा साधन था। बुजुर्गों की मानें तो एक सौ वर्ष से भी अधिक पुराने इस तालाब से कभी गांव की पहचान होती थी।
स्थानीय प्रखंड के अतरवलिया गांव के तालाब की जमीन हड़पने के लिए ग्रामीणों में होड़ मची है। इसका नतीजा है कि 15 एकड़ रकबा वाले इस बड़े जलस्रोत का अस्तित्व मिटने के कगार पर है। यह तालाब कभी गांव के किसानों के सिचाई का बड़ा साधन था। बुजुर्गों की मानें तो एक सौ वर्ष से भी अधिक पुराने इस तालाब से कभी गांव की पहचान होती थी।
ग्रामीणों के दैनिक उपयोग के साथ-साथ यह तालाब बगल के गांव के मवेशियों की भी प्यास बुझाता था। ग्रामीणों की संकीर्ण मानसिकता के कारण बड़े भूभाग वाला तालाब काफी सिकुड़ चुका है। तालाब की जमीन पर मिट्टी भरकर दर्जनों लोग पक्का मकान बना लिए हैं। जिसमें गांव के संभ्रांत लोग भी शामिल हैं। ग्रामीण पूर्वजों के इस धरोहर को समाप्त करने पर तुले हुए हैं। अतिक्रमण के कारण तालाब के किनारे से गांव में जाने का रास्ता भी बंद हो चुका है। वाहन तो बड़ी मुश्किल से इनके घर तक पहुंच पाते हैं। तालाब की जमीन पर कब्जा जमाने के लिए लगातार इसे भरने का काम जारी है। ऐसे में वह दिन दूर नहीं जब इस तालाब का वजूद ही समाप्त हो जायेगा। तालाब गंदगी से पाटा जा रहा है। तालब के चारों तरफ अतिक्रमणकारियों का कब्जा हो चुका है। इस गंभीर समस्या के तरफ न तो किसी जनप्रतिनिधि का ध्यान है न हीं किसी पदाधिकारी का। ज्ञात हो कि अतरवलिया गांव की पहचान भोजपुरी गायक, फिल्म अभिनेता, दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सह सांसद मनोज तिवारी के नाम से भी होती है।गांव में आने पर कई राजनेता व पदाधिकारी उनसे मिलने के लिए अतरवलिया गांव पहुंचते हैं। सबकी नजर तालाब की दुर्दशा पर जाती है। लेकिन किसी के द्वारा इसे बदहाली से मुक्त कराने का प्रयास नहीं किया गया। ग्रामीण राजनीत के कारण अतिक्रमणकारियों खिलाफ कोई आवाज भी नहीं उठाना चाहता। सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय के तालाब व जलस्रोतों को अतिक्रमण मुक्त कराने के निर्देश का भी पदाधिकारी अनुपालन नहीं कर रहे हैं। तालाब के अतिक्रमण के कारण गांव की जल निकासी बंद हो चुकी है।
बुजुर्गों का कहना है कि अतरवलिया का यह तालाब करीब 15 एकड़ भूभाग में फैला हुआ था। इसमें पर्याप्त मात्रा में जल संचय होता था। इसके पानी से खेतों की सिचाई होती थी। गांव का जलस्तर भी सुरक्षित रहता था। अतिक्रमण के कारण लगातार तालाब की भराई से अतरवलिया गांव का जलस्तर तेजी से नीचे खिसका है। गर्मी के मौसम में हर साल ग्रामीणों को पेयजल संकट से भी जूझना पड़ रहा है। इसके बावजूद ग्रामीण तालाब के रखरखाव पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। बता दें कि मोहनियां प्रखंड में कुल 432 तालाब हैं। इसमें 33 तालाब अतिक्रमण की चपेट में हैं। इसमें 24 तालाब पर अस्थाई व 9 तालाब पर स्थाई अतिक्रमण है। क्या कहते हैं लोग -
फोटो नंबर- 13
सत्येंद्र तिवारी - अतरवलियां गांव में तालाब काफी पुराना है। पूर्वज इसे सहेज कर रखते थे। तभी यह तालाब काफी उपयोगी रहा। लेकिन आज लोग अपने निजी स्वार्थ में संरक्षण की बजाए तालाब के अस्तित्व को ही मिटाने पर तुले हैं। इससे आने वाले दिनों में काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। फोटो नंबर- 14
अरविद मिश्रा - अतरवलियां गांव में तालाब का संरक्षण नहीं किया जा रहा बल्कि उसका अतिक्रमण किया जा रहा है। इससे तालाब पूरी तरह अब अनुपयोगी हो गया है। इसका पानी भी किसी के उपयोग लायक नहीं रह गया है। इससे गांव में कई तरह की समस्या उत्पन्न हो रही है। क्या कहते हैं सीओ -
फोटो नंबर- 15
राकेश कुमार सिंह - मोहनियां प्रखंड के तालाबों को अतिक्रमणमुक्त कराया जा रहा है। जो तालाब अतिक्रमण की चपेट में हैं उनकी सूची तैयार करने की कार्रवाई चल रही है। अतरवलियां गांव के तालाब से भी अतिक्रमण शीघ्र हटवाया जाएगा।
-राकेश कुमार सिंह, सीओ, मोहनियां