अमाढ़ी गांव में तालाब की जमीन पर बन गए मकान
यदि सर्व साधारण की जमीन और तालाब की दुर्दशा देखना है तो प्रखंड का अमाढ़ी गांव का सबसे शीर्ष स्थान पर आएगा।
यदि सर्व साधारण की जमीन और तालाब की दुर्दशा देखना है तो प्रखंड का अमाढ़ी गांव का सबसे शीर्ष स्थान पर आएगा। यहां तालाब हो या सर्वसाधारण की जमीन सभी अतिक्रमण की चपेट में है। अतिक्रमण भी ऐसा की एक इंच जमीन भी नहीं खाली है। वैसे तो इस गांव में दो तालाब हैं। एक ताल है। लेकिन आज वर्तमान में एक भी ठीक स्थिति में नहीं। ताल तो अब गांव में है ही नहीं। पूरे ताल में मकान का निर्माण हो गया है। ग्रामीणों का कहना है कि जो गांव में जाने के लिए मुख्य रास्ता बना है वह भी ताल की जमीन में ही है। वहीं गांव के दक्षिण दिशा में स्थित छह एकड़ का तालाब की तो दुर्दशा बन गई है।
इस तालाब का पानी पूरी तरह दूषित हो गया है। तालाब के पिड पर गोबर व गंदगी फेंकी जा रही है। जिसके चलते पानी में गंदगी बह रही है। तालाब के एक तरफ से लोग मकान बनाते आ रहे हैं। इसके लिए वे गंदगी व मिट्टी डाल कर तालाब पाट रहे हैं। एक तरफ जो तालाब का क्षेत्र बाकी है उसके बगल में पूरा पानी भरा है। तालाब के किनारे स्कूल स्थित होने के कारण स्कूल की चारदीवारी भी खोखला हो गई है। कब गिर जाएगी कोई ठीक नहीं। इससे स्कूल में नामांकित बच्चों के जीवन को भी खतरा है। ग्रामीणों ने बताया कि कई छोटे-छोटे बच्चे स्कूल पानी में से होकर आते-जाते हैं। इससे बरसात के समय में विषैले जीव जंतुओं का डर बना रहता है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में एक और तालाब है जो सर्व साधारण है। लगभग 5 एकड़ का यह तालाब सिचाई के लिए काफी उपयोगी था। यहां बच्चों को खेलने के लिए मैदान बनाने की योजना थी। लेकिन गांव में राजनीति के चलते यहां मैदान नहीं बन सका और आज यह तालाब अनदेखी का शिकार है। इस तालाब की मिट्टी काटी जा रही है। इसके चलते इस तालाब का अस्तित्व भी समाप्त होते जा रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि अमाढ़ी गांव में मध्य विद्यालय है। यहां हाई स्कूल के लिए योजना आई थी। लेकिन अतिक्रमण के कारण ही यहां हाई स्कूल नहीं बन सका। आज यहां के छात्र-छात्राएं भभुआ पढ़ने जा रहे हैं। क्या कहते हैं लोग -
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शिव परीक्षा सिंह -
गांव में अतिक्रमण के चलते कोई विकास का कार्य नहीं हो पा रहा है। कहीं जगह ही नहीं है कि कोई कार्य हो। न सामुदायिक भवन बना, न पंचायत सरकार भवन। ताल, तालाब सब अतिक्रमण की चपेट में हैं। चार साल से अतिक्रमणवाद भी चल रहा है। लेकिन पदाधिकारी सुनने को तैयार ही नहीं। इसके चलते अतिक्रमणकारियों का मनोबल बढ़ते जा रहा है। फोटो नंबर- 04
रवींद्र कुमार -
गांव में तालाब के किनारे स्कूल है। इस स्कूल की चारदीवारी तालाब के पानी से खराब हो चुकी है। बच्चों को आने-जाने में परेशानी होती है। लेकिन तालाब को अतिक्रमण मुक्त करा कर स्कूल की चहारदीवारी दिलाने की कोई पहल नहीं हो रही है। इससे कभी भी दुर्घटना हो सकती है।