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जीबी कॉलेज के मुख्य गेट पर ताला जड़ कर्मचारियों ने दिया धरना

संवाद सूत्र रामगढ़: चालू वित्तीय वर्ष वीर कुंवर ¨सह विश्वविद्यालय के हड़ताल के नाम से जाना ग

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Sep 2018 05:16 PM (IST)Updated: Tue, 04 Sep 2018 05:16 PM (IST)
जीबी कॉलेज के मुख्य गेट पर ताला जड़ कर्मचारियों ने दिया धरना
जीबी कॉलेज के मुख्य गेट पर ताला जड़ कर्मचारियों ने दिया धरना

संवाद सूत्र रामगढ़: चालू वित्तीय वर्ष वीर कुंवर ¨सह विश्वविद्यालय के हड़ताल के नाम से जाना गया। साल के नवें माह तक चार बार जीबी कॉलेज हड़ताल के कारण बंद रहा। कभी शिक्षक कर्मियों द्वारा एक दिवसीय हड़ताल हुई तो कभी शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की लंबी हड़ताल चली। अब जब पुन: नामांकन की प्रक्रिया शुरू थी व आखिरी तिथि मंगलवार को समाप्त हो रही तो फिर हड़ताल से कॉलेज का सारा कार्य ठप हो गया है। 12 सूत्री मांगों के समर्थन में शिक्षकेत्तर कर्मचारियों का अनिश्चितकालीन हड़ताल इसी दिन शुरु हो गया।कॉलेज के मुख्य गेट का ताला जड़ धरना पर बैठे कर्मचारियों ने नारेबाजी भी किया। विश्वविद्यालय प्रशासन मुर्दाबाद, वीसी हाय हाय जीबी कॉलेज के प्राचार्य होश में आओ का नारा लगा रहे थे तथा कालेज कैंपस के अंदर जाने पर भी पाबंदी लगा दिए। जिस कारण प्राचार्य सहित सभी शिक्षक कर्मी साइकिल स्टैंड के सामने कुछ देर खड़ा हो बाहर निकल गए। पठन पाठन व नामांकन कराने गए छात्र भी निराश होकर वापस लौटने को मजबूर हुए। इनके हड़ताल पर जाने से कॉलेज में सभी कार्य ठप हो गया है। बता दें कि वीर कुंवर ¨सह विश्वविद्यालय के अंगीभूत कॉलेजों के शिक्षकेत्तर कर्मचारी अपनी मांगों के समर्थन में 24 से 27 अगस्त तक सामूहिक हड़ताल पर थे। इसके बाद 31 अगस्त को विश्वविद्यालय परिसर में इन कर्मियों ने धरना प्रदर्शन किया था। जिसमें अल्टीमेटम दिया था कि कर्मचारियों की 12 सूत्री मांगे मान ली जाए अन्यथा अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को विवश होंगे। धरना स्थल पर संघ के अध्यक्ष बिजेंद्र ¨सह, सचिव सुरेंद्र ¨सह, कोषाध्यक्ष हरिशंकर यादव, भोला ¨सह, संत कुमार ¨सह, जमुना ¨सह राठौर, शिवाजी पाण्डेय, छोटेलाल खालिक अंसारी, उमा ¨सह, अवधबिहारी पांडेय, मनेन्द्र कुमार, संतोष कुमार ¨सह, सहित सभी शिक्षकेत्तर कर्मचारी शामिल रहे। प्राचार्य डॉ. राधेश्याम ¨सह ने बताया कि शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के द्वारा ताला गेट में बंद कर बैठने से हम सभी शिक्षकों को विवश होकर लौटना पड़ा।

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