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नवजातों की देखभाल में कंगारू मदर केयर पर जोर

कोरोनाकाल में नवजात शिशु की देखभाल में चुनौतियां आई हैं। संक्रमण के बढ़ते प्रसार के क

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Jun 2020 02:04 PM (IST)Updated: Sun, 07 Jun 2020 02:04 PM (IST)
नवजातों की देखभाल में कंगारू मदर केयर पर जोर
नवजातों की देखभाल में कंगारू मदर केयर पर जोर

कोरोनाकाल में नवजात शिशु की देखभाल में चुनौतियां आई हैं। संक्रमण के बढ़ते प्रसार के कारण लोगों का अधिक ध्यान संक्रमण की रोकथाम की तरफ अधिक रहने के कारण नवजात शिशुओं का देखभाल प्रभावित हुआ है। इस लिहाज से प्रसव के उपरांत नवजात की समुचित देखभाल जरुरी है।नवजात का वजन प्रसव के तुरंत बाद इस बात का सूचक होता है की तत्काल तथा भविष्य में नवजात का स्वास्थ्य कैसा होगा। अल्प वजन के नवजातों को जन्म के पहले वर्ष में ही गंभीर रोगों से ग्रसित होने की संभावना एक सामान्य नवजात की तुलना में अधिक हो जाती है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के आंकड़ों के अनुसार एक स्वस्थ नवजात के मुकाबले अल्प वजनी नवजात के मृत्यु की संभावना चार गुना अधिक होती है। भारतवर्ष में हर साल पैदा होने वाले नवजात शिशुओं में 27 फीसदी अल्प वजन वाले होते हैं। इसलिए अल्प वजनी नवजातों को विशेष देखभाल की जरूरत अधिक बढ़ जाती है। इसमें अल्प वजनी नवजात को सुरक्षा प्रदान करने में कंगारू मदर केयर की भूमिका अहम मानी जाती है। इससे नवजात के शारीरिक तापमान को बनाए रखने में मदद मिलती है। संक्रमण तथा अनेक रोगों से बचाव होता है। कंगारू मदर केयर में शिशु को मां के सीने से चिपका कर शिशु को मां की शरीर की ऊष्मा प्रदान कराई जाती है। इससे सिर्फ शिशु के वजन में ही वृद्धि नहीं होती है बल्कि संभावित संक्रमण से भी शिशु का बचाव होता है। इसमें माता अपने नवजात का सर अपने स्तन के बीच में रखती है तथा एक हाथ से शिशु के पीठ तथा दूसरा हाथ शिशु के नितम्बों के नीच रख सहारा देती है। शिशु का सर एक तरफ मुड़ा रहता है ताकि वह सहज रहे। यह प्रक्रिया लेटकर और बैठकर दोनों तरीके से की जा सकती है। यदि माता कंगारू मदर केयर प्रदान करने की स्थिति में नहीं हो तो इस प्रक्रिया को घर का कोई अन्य सदस्य भी कर सकता है। इस संबंध में अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डा. मीना कुमारी ने बताया कि कंगारू मदर केयर की सलाह सभी अल्प वजनी नवजात के माता तथा परिवार वालों को दी जाती है। उनके मुताबिक माता के अलावा पिता भी इस प्रक्रिया को कर अपने शिशु को सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं। नवजात शिशु अल्प वजन का पैदा न हो इसके लिए उन्होंने गर्भवती माताओं के पोषण का समुचित ख्याल रखने की महत्ता पर भी जोर देना आवश्यक है। साथ ही जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान की शुरुआत करने एवं छह माह तक केवल शिशु को स्तनपान कराने से शिशु डायरिया एवं निमोनिया जैसे रोगों से बचा रहता है।

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