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लॉकडाउन से स्थानीय सामग्रियों का बढ़ा महत्व

जिले में लॉकडाउन के बाद स्थानीय सामग्रियों का महत्व बढ़ गया है। ऐसे में बाहर के वस्तुओं क

By JagranEdited By: Published: Fri, 29 May 2020 03:20 PM (IST)Updated: Fri, 29 May 2020 03:20 PM (IST)
लॉकडाउन से स्थानीय सामग्रियों का बढ़ा महत्व
लॉकडाउन से स्थानीय सामग्रियों का बढ़ा महत्व

जिले में लॉकडाउन के बाद स्थानीय सामग्रियों का महत्व बढ़ गया है। ऐसे में बाहर के वस्तुओं को लोग कम मात्रा में खरीद रहे है। लेकिन यह चीजें पूर्णत: अभी नहीं हो पाई है। दरअसल 25 मार्च के बाद हुए लॉकडाउन से सामानों के आवागमन पर कुछ समयों के लिए रोक लग गया था। उसके बाद सरकार ने कुछ प्रावधान किए तो सामानों की आपूर्ति होने लगी। लॉकडाउन के बाद जिले में सब्जियों में परवल, सिमला मिर्च, पत्ता गोभी, फूल गोभी, गाजर आदि जैसे बाहर से आपूर्ति होने वाले चीजों की मांग कम हो गई। ऐसे में दुकानदार भी उन चीजों को कम मात्रा में लाने लगे। वहीं उसी तरह मेडिकल क्षेत्र में मास्क की कीमत 60 रुपये से लेकर 700 तक बिक रहे थे। लेकिन जैसे ही जीविका से बने मास्क बाजार व सरकारी कार्यालयों में आए तो मेडिकल पर बिक रहे मास्कों की कीमत में भी गिरावट आ गई। लॉकडाउन के शुरूआती दौर में मास्क व सैनिटाइजर की काफी कमी थी। लेकिन अब बाजार में उसकी उपलब्धता पूरी हो गई है। लॉकडाउन में घरेलू चीजों को लोगों ने भी महत्व देना शुरू कर दिया है। सस्ते दामों में बिक रही सब्जी-

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लॉकडाउन में भले ही कुछ भी मंहगा हो, लेकिन इन दिनों जैसी कभी भी सस्ती सब्जी नहीं मिली। इन दिनों भिडी दस में ढ़ाई किलो, नेनुआ ढ़ाई किलो, बोदी 20 रुपये किलो, लॉकी दस रुपये, टमाटर 20 रुपये किलो की कीमत से सामान मिल रहे है। वहीं दूध भी 40 रुपये किलो मिल रहा है। जहां एक ओर ग्राहकों को राहत है तो दुकानदारों के लिए व किसानों के लिए यह आफत दिख रहा है। लेकिन यह है कि लोकल का बाजार शुरू हो गया है। जल्द ही कैमूर में बनेगा हैंड सैनिटाइजर- कैमूर जिले में जल्द ही हैंड सेनेटाइजर बनने लगेगा। जिसमें कैमूर मास्क के बाद अब हैंड सेनेटाइजर में भी आत्मनिर्भर हो जाएगा। इसके लिए आम लोग व जीविका के सहयोग से सैनिटाइजर बनाने की बात चल रही है।


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