शिक्षा के साथ संस्कार की पाठशाला का हो निर्माण : रामअशीष
नोनार में आयोजित हुआ सेमिनार संघ के राष्ट्रीय संयोजक ने किया संबोधित - पुलिस पदाधिकारी से लेकर कई बौद्धिक प्रमुख हुए शामिल संवाद सूत्र रामगढ़ भारतीय संस्कृति की रचना ऋगवेद काल से हुई है। तब से भारत में सनातन धर्म की रक्षा के लिए वेद उपनिषदों
भारतीय संस्कृति की रचना ऋगवेद काल से हुई है। तब से भारत में सनातन धर्म की रक्षा के लिए वेद उपनिषदों में व्याख्या होती रही है। इसी की बदौलत भारत को मातृभूमि के रुप में दुनिया में पहचान मिली है। यह बातें बुधवार को रामगढ़ प्रखंड के नोनार गांव में स्थित आरएनएस मिलीट्री पब्लिक स्कूल परिसर में आयोजित सेमिनार में संघ के राष्ट्रीय संयोजक रामअशीष ने कही। उन्होंने मानवीय मूल्यों पर आधारित शिक्षा की व्याख्या की तथा कहा कि किसी भी पाठशाला में शिक्षा के साथ साथ संस्कार का निर्माण करें। तभी हमारी संतानें भारतीय संस्कृति को प्राप्त कर पाएंगी। उन्होंने कहा कि आज के परिवेश में भारत में शिक्षा का जो विकेंद्रीकरण हुआ है उससे हमारे बच्चे दिग्भ्रमित हो रहे हैं। उन्हें सही दिशा में ले जाने की जरूरत है। बच्चों के दिमाग पर उस तरह का बल न दें, जिससे उसकी कार्य क्षमता दूसरे दिशा में डायवर्ट हो जाए। देश की सीमा पर जान की बाजी लगाने वाले हमारे सैनिकों को क्या मिलता है। इससे आप सभी भलिभांति परिचित हैं। जिस छात्र नौजवानों में राष्ट्रप्रेम नहीं जगेगा वे संस्कार युक्त शिक्षा नहीं प्राप्त कर सकते। उन्होंने माताओं एवं बहनों से अपील किया कि अपनी संतानों में वह संस्कार जरूर दें जो गुरुकुल में दिए जाते रहे हैं। उन्होंने रिटायर्ड कर्नल रामनगीना सिंह को इस प्रयास के लिए धन्यवाद दिया तथा कहा कि ऊंची सोच की बदौलत यह विद्या का मंदिर कैमूर ही नहीं देश में नाम रोशन करें। एसडीपीओ रघुनाथ सिंह ने कहा कि रामगढ़ शिक्षा के साथ खेलकूद की भी नर्सरी है। समारोह के कर्नल सुरेंद्र सिंह, जेएनयू के छात्र संजय सिंह, संघ के मिथलेश, थानाध्यक्ष राजीव रंजन सिंह ने भी संबोधित किया। अध्यक्षता डॉ विदेश्वरी सिंह तथा संचालन डॉ रामेश्वर दुबे ने किया। इस मौके पर मुखिया डॉ संजय सिंह, पूर्व प्रमुख अरूण सिंह, अजित सिंह सहित कई गणमान्य लोग मंचासीन रहे।