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खुद के लगाए पौधे पर आदिवासी जताएंगे मालिकाना हक

12 एकड़ में पौधा लगाए जाने का नावार्ड ने रखा है लक्ष्य - पौधों की सिचाई व सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल रहा नावार्ड रवींद्र वाजपेयी भभुआ जिले के पहाड़ी प्रखंड क्षेत्र अधौरा में रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोग भी अब मालिक बनेंगे। इसके लिए

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 Jan 2020 05:13 PM (IST)Updated: Thu, 09 Jan 2020 05:13 PM (IST)
खुद के लगाए पौधे पर आदिवासी जताएंगे मालिकाना हक
खुद के लगाए पौधे पर आदिवासी जताएंगे मालिकाना हक

जिले के पहाड़ी प्रखंड क्षेत्र अधौरा में रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोग अब मालिक बनेंगे। इसके लिए नावार्ड ने अच्छी पहल की है। इसके अंतर्गत अधौरा प्रखंड के 20 गांवों में आदिवासी समुदाय के लोगों द्वारा उनकी ही भूमि पर पौधारोपण कराया जा रहा है। यह पौधा कोई और नहीं बल्कि वहीं अपने हाथों से लगाएंगे और जब पौधा तैयार हो जाएगा तो उनका मालिकाना हक भी उन्हें मिलेगा। भारत सरकार के नावार्ड विभाग द्वारा संचालित समग्र आदिवासी विकास योजना के अंतर्गत जिले के पहाड़ी प्रखंड क्षेत्र अधौरा के 20 गांवों का चयन किया गया है। इस संबंध में जानकारी देते हुए नावार्ड के जिला विकास प्रबंधक उद्ययन कुमार ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत आदिवासियों के श्रमदान से उनकी बंजर भूमि पर पौधों को लगाने के लिए नावार्ड पौधे उपलब्ध करा रहा है। इसके साथ ही पौधे लगाए जाने वाली भूमि पर पौधों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दलहन व तिलहन फसल को उगाया जा रहा है। ताकि पौधों की देखरेख करने के लिए नियमित रूप से पौधा लगाने वाले व्यक्ति को पौधों के संरक्षण के लिए ध्यान रखना होगा। उन्होंने कहा कि पौधों की सुरक्षा के लिए नावार्ड आदिवासी समुदाय के लोगों को कंटीले तार व सिचाई के लिए पानी तथा अन्य कीटनाशी दवाएं भी उपलब्ध करा रहा है। ताकि पौधों का पूरी तरह से संरक्षण व देखभाल होती रहे। उन्होंने बताया कि यह योजना छह से सात वर्ष के लिए निर्धारित है। इस योजना में प्रति एकड़ 40 हजार रुपए की दर से नावार्ड द्वारा खर्च की जा रही है। उन्होंने कहा कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य यह है कि आदिवासी समाज को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बना कर समाज की मुख्य धारा से जोड़ना तथा बंजर भूमि पर फलदार पौधे लगा कर वातावरण को प्रदूषणमुक्त बनाना। इस योजना के अंतर्गत झडपा, मडपा, बिदुरी, गुल्लू, डुमरांवा, भडेहरा, सलेयां, मसानी, दहाड, रैना, सारोदाग, कटकर सहित 20 गांवों का चयन किया गया है।

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