फसलों को कीटों के आक्रमण से बचाएं
मौसम वर्तमान में साफ दिख रहा है, लेकिन समय समय पर बादल हो जाने से फसलों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
मौसम वर्तमान में साफ दिख रहा है, लेकिन समय समय पर बादल हो जाने से फसलों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। आकाश में बादल होने पर किसानों को फसल की ¨सचाई करने से बचना चाहिए। कृषि वैज्ञानिक अमित कुमार ¨सह ने बताया कि किसानों को वैसे समय में खेतों की ¨सचाई करने से बचना चाहिए जब आकाश में बादल हो। साथ ही आकाश में बादल होने पर फसलों को कीट से बचाने के लिए समय समय पर दवा का इस्तेमाल करना भी जरूरी है। कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि आकाश में बादल हो तो इस समय में सबसे ज्यादा सरसों फसल को हानि होती है। इस समय सरसों की फसल पर लाही नामक कीट गिरती है। जिससे सरसों की फसल पूरी तरह से चौपट हो जाती है। उन्होंने बताया की अक्सर ऐसा मामला आकाश में बादल हो तभी होता है, लेकिन कभी कभार कहीं कहीं पर ऐसा मामला दिखता है। जब किसान के फसल में लाही गिरने लगे तो मेटाफरोकरा या मीडेक्लोपरीड नामक दवा का छिड़काव कर सकते हैं। यह दवा सौ लीटर पानी में 150 एमएल मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। जिससे लाही नामक रोग से मुक्ति मिलेगी। कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि जो किसान पहले चना की बोआई कर चुके हैं। वो फसल फल या फूल लेने के कगार में है। वैसे में चना की फसल पर किट लगने को होंगे। उसके लिए स्पाइनेसेड या इन्डोक्सा कार्ब दवा का प्रयोग कर सकेंगे। इस दवा का छिड़काव कर सकेंगे। वहीं जो बाद में चना बोए गए है। अभी उनमें कोई रोग नहीं लग रही है। वैज्ञानिक ने बताया की गेहूं की फसल की प्रथम ¨सचाई हो चुकी है। अब हर खरपतवार के लिए दवा की छिड़काव करनी चाहिए। कहीं कहीं पर गेहूं की फसल पिला होने की सूचना मिल रही है। ऐसे में किसानों को घबराना नहीं चाहिए। बल्कि खेत से पानी निकाल देना चाहिए। उन्होंने बताया की ज्यादा पानी लगने से गेहूं की फसल पिला हो जाता है। दूसरी ¨सचाई के बाद यूरिया तथा पोटाश मिलाकर छिड़काव करें तो फसल के पिलापन से दूर किया जा सकेगा। ज्ञात हो की गेहूं की फसल पिला होने का कारण पोषक तत्व की कमी होने को दर्शाता है। इसके लिए नाइट्रोजन व अन्य पोषक तत्वों की जरूरत पड़ती है। जो की यूरिया तथा पोटाश से पूरा हो जाता है।