दूध की कमी से कुपोषण का शिकार हुए बच्चे
विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान में पल रहे बच्चों का स्वास्थ्य दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा है। इस बात का खुलासा गुरुवार को उस वक्त हुआ जब जिला विधिक सेवा प्राधिकार की तीन सदस्यीय टीम संस्थान में जांच को पहुंची।
विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान में पल रहे बच्चों का स्वास्थ्य दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा है। इस बात का खुलासा गुरुवार को उस वक्त हुआ, जब जिला विधिक सेवा प्राधिकार की तीन सदस्यीय टीम संस्थान में जांच को पहुंची।
टीम का नेतृत्व प्राधिकार के सचिव प्रदीप कुमार श्रीवास्तव कर रहे थे। इसमें अधिवक्ता दिलीप कुमार के अलावा एक अन्य सदस्य शामिल थे। टीम ने विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान में पल रहे बच्चों के स्वास्थ्य और सफाई की जांच की। जांच के क्रम में बच्चों के स्वास्थ्य के साथ लापरवाही बरतने का मामला सामने आया। टीम ने इसे गंभीरता से लेते हुए एक-एक पत्रावली की जांच शुरू कर दी। जांच में सामने आया कि बच्चों को उनके पोषण के लिए निर्धारित मात्रा से काफी कम दूध दिया जा रहा है। जो दूध दिया भी जा रहा है वह पूरी तरह से कैलोरीयुक्त नहीं होने की बात सामने आई। चिकित्सक द्वारा बताया गया कि एक बच्चे को कम से कम एक दिन में एक से डेढ़ किलो दूध आवश्यक है, लेकिन जांच में पाया गया कि दस बच्चों के बीच एक दिन में चार किलो दूध ही दिया जा रहा है। पैकेट वाले दूध की गुणवत्ता पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा हुआ कि इसमें कौन सा पोषक तत्व कितनी मात्रा में है, इसका कोई उल्लेख नहीं। इससे बच्चों का स्वास्थ्य दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा है। इस पर सचिव ने निर्देश दिया कि बच्चों को दिए जाने वाले दूध की जांच फूड इंस्पेक्टर से कराई जाएगी।
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दूध की खरीदारी में भी लापरवाही
वहीं, दूध की खरीदारी व बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति बरती जा रही लापरवाही से मानवाधिकार आयोग व चाइल्डकेयर यूनिट को भी पत्र लिखा जाएगा। सचिव ने कहा कि पुन: एक माह बाद संस्थान की जांच की जाएगी।
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बच्चों में कुपोषण जैसी स्थिति : डॉ. प्रेम
स्वास्थ्य की जांच के लिए प्रतिनियुक्त चिकित्सक डॉ. प्रेम कुमार ने बताया कि बच्चों को दिए जाने वाले दूध से बच्चों में कुपोषण जैसी स्थिति उत्पन्न हो रही है। इस संबंध में कई बार अवगत भी कराया गया था, लेकिन दूध की गुणवत्ता में सुधार नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि बीते दिनों सीबीआइ टीम द्वारा भी जांच की गई थी। जांच में शामिल पदाधिकारियों को भी इस समस्या से अवगत कराया गया था। जिला विधिक प्राधिकार के सचिव ने एक अप्रैल से 18 अप्रैल तक दूध की खरीद की भी पत्रावली की जांच की, जिसमें काफी अनियमितता पाई गई। उन्होंने विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान की समन्वयक को बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने व पोषक तत्वों को भी देने की बात कही।
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दस बच्चों का हो रहा यहां पालन-पोषण
अभी दत्तक ग्रहण संस्थान में दस बच्चों का पालन-पोषण हो रहा है, जिसमें दो लड़के व आठ लड़कियां शामिल हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सरकार एक बच्चे के पालन-पोषण के लिए 2160 रुपये की राशि दे रही है। जांच के दौरान डॉ. महताब आलम भी उपस्थित थे।