जानिए 12 साल के शरारती बच्चे की कहानी, घरवालों ने गूगल को कहा- थैंक्स
12 साल का शरारती बच्चा घर छोड़कर भाग गया था। 20 साल बाद जब उसे घर की याद आयी तो वह ढूंढता रहा। गूगल की मदद से वह घर पहुंचा। परिजनों ने गूगल को धन्यवाद दिया।
कैमूर, दुर्गेश कुमार। 12 साल की नाजुक उम्र में घर से भागा बबलू वापस आया तो 32 साल का गबरू जवान निकला। इस रुसवाई में जिंदगी के 20 साल गुजर गए। पिता कोमल सिंह की धुंधली हो चुकी आंखें सोमवार को अचानक चमक उठीं। खुशी के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। मां का आंचल एक बार फिर गीला हुआ।
कोमल सिंह कैमूर जिलान्तर्गत भगवानपुर प्रखंड में कसेर गांव के निवासी हैं। बबलू सिंह उर्फ उपेंद्र उनका पुत्र। बचपन से ही था शरारती। सन् 1998 में 19 अप्रैल को वह बिना कुछ बताए घर से भाग गया। उसकी तलाश में कोमल सिंह दो साल तक दर-ब-दर की खाक छानते रहे। कोई सुराग नहीं मिला। अंतत: देवी-देवताओं के शरण में गए। कसेर के गोलवा बाबा से मन्नत मांगी। साढ़े बीस साल बाद उम्मीदें मुकम्मल हुई हैं।
सोमवार सुबह कोमल सिंह ने घर का दरवाजा खोला कि एक युवक सामने आ खड़ा हुआ। कहने लगा कि मैं कोमल सिंह का पुत्र बबलू सिंह हूं। कोमल सिंह की आंखों की पुतलियां ऊपर-नीचे हुईं और सायास बबलू की सूरत कौंध गई। पलक झपकते ही उन्होंने उसे गले से लगा लिया। दोनों की आंखों से आंसुओं की अविरल धार बह चली। ग्रामीणों को भनक लगी तो कोमल सिंह के यहां बधाई का तांता।
बबलू की आंखों में कुछ संकोच और चेहरे पर असमंजस के भाव जैसे। कुरेदने पर आपबीती सुनाया। घर से भागकर लुधियाना पहुंचा। वहां कपड़ा की कंपनी में काम किया। उसी बीच ड्राइविंग का शौक लगा। उसके बाद गुडग़ांव में भारत कंपनी की गाड़ी चलाने लगा। न घर की याद आई, न लौटने की फिक्र हुई।
दिन कटते गए, रातें गुजरती गईं। एक सप्ताह पहले अचानक घर की याद आई, लेकिन राहें भूल चुका था। गूगल मददगार निकला। सेलफोन के जरिए कसेर को सर्च किया और पहुंच आया परिजनों के पास।