Bhabhua: वाहन चलाने वालों को नियम की जानकारी नहीं, हो रही दुर्घटनाएं, जिले में यहां ट्रेनिंग की व्यवस्था
कैमूर जिले में लोग सड़कों पर वाहन चला रहे हैं लेकिन उन्हें किसी तरह के नियम की जानकारी नहीं है। यहां तक की कुछ लोग तो ऐसे हैं जो सिर्फ वाहन चला रहे हैं उन्हें वाहन के ही कई सिस्टम के बारे में जानकारी नहीं है।
रवींद्र वाजपेयी, भभुआ: कैमूर जिले में लोग सड़कों पर वाहन चला रहे हैं, लेकिन उन्हें किसी तरह के नियम की जानकारी नहीं है। यहां तक की कुछ लोग तो ऐसे हैं जो सिर्फ वाहन चला रहे हैं, उन्हें वाहन के ही कई सिस्टम के बारे में जानकारी नहीं है। वाहनों में भी कई ऐसे सिस्टम होते हैं जिसका उपयोग कब कब करना है इसकी जानकारी वाहन चलाने वालों को हर हाल में होनी चाहिए। सड़क पर बनाए गए संकेतक का क्या मतलब होता है इसकी भी जानकारी कुछ लोगों को ही है।अधेड़ उम्र के लोग तो सड़क पर धीरे-धीरे वाहन चला रहे हैं, लेकिन जो युवा वर्ग या कम उम्र के बच्चे हैं वे वाहन चलाते समय तेज रफ्तार में वाहन चलाते हैं। इसमें सबसे अधिक बाइक चलाने वालों की संख्या देखने में मिलती है। जिले की सड़कों पर अधिकांश दुर्घटनाएं बाइक से ही हो रही हैं।
अब ज़िले में है ट्रेनिंग की व्यवस्था
इससे स्पष्ट है कि बाइक चलाने वाले लोग किसी नियम व तरीक़े का अनुपालन नहीं करते। हालांकि जिले में अब तक वाहन चलाने के लिए ट्रेनिंग देने की कोई खास व्यवस्था भी नहीं थी। इसी वर्ष जून माह में एक ट्रेनिंग स्कूल खुला है। लेकिन इसके पूर्व इस कार्य के लिए लोग औरंगाबाद जाते थे। बता दें कि भभुआ-मोहनियां पथ पर परसियां गांव के पास परिवहन विभाग से संबद्ध एक मात्र कैमूर वाहन ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल संचालित हैं। इसके अलावा एक भभुआ नगर में तथा एक मोहनियां में वाहन चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है। कैमूर वाहन ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल में तीन कार व एक ट्रक के माध्यम से वाहन चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है। यहां ट्रेनिंग देने के लिए उपलब्ध वाहन इसी वर्ष खरीद कर लाए गए हैं। यह ट्रेनिंग स्कूल दो एकड़ में है। 84 लाख रुपये की लागत से यह ट्रेनिंग स्कूल बना है। इससे पूर्व जिले के वाहन चलाने के इच्छुक लोग औरंगाबाद के आइडीटीआर में जाकर ट्रेनिंग लेते थे।
प्रतिमाह 960 लोगों को ट्रेनिंग देने की सीट
ट्रेनिंग स्कूल में छह माह के अंदर लगभग दो सौ लोगों को वाहन चलाने में दक्ष बनाया गया है। ट्रेनिंग के दौरान वाहन चलाने, संकेतक, ऊंचाई पर चढ़ने, ब्रेकर, गड्ढे, हाइवे व लिंक पथों पर गति की सीमा आदि परिवहन नियमों के बारे में जानकारी दी जाती है। प्रतिमाह 960 लोगों को ट्रेनिंग देने की सीट है। एलएमवी (चार पहिया वाहन) के लिए 30 दिन व एचएमवी (भारी वाहन) चलाने के लिए 45 दिन की ट्रेनिंग दी जाती है। संचालक अजय तिवारी ने बताया कि कैमूर मोटर ट्रेनिंग स्कूल में आठ कर्मी हैं। जिनके माध्यम से वाहन चलाने के लिए थ्योरी व प्रैैक्टिकल दोनों तरीके से ट्रेनिंग दी जाती है। सभी तरह के वाहन को चलाने के लिए सिमुलेटर मशीन पर ट्रेनिंग दी जाती है। स्कूल के वरूण कुमार ने बताया कि ट्रेनिंग के दौरान ड्राइविंग लाइसेंस उपलब्ध कराने की व्यवस्था है। लेकिन लोग बिचौलियों के चक्कर में पड़ कर बिना ट्रेनिंग लिए लाइसेंस बनवा लेते हैं। इससे आज भी कई लोग बिना किसी ट्रेनिंग के वाहन चला रहे हैं।