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जमुई : एक साल में जिले में बढ़ गई 33 फीसद कुपोषित बच्चों की संख्या

बिहार के जमुई में एक साल में कुपोषित बच्चों की संख्या में 33 फीसद का इजाफा हुआ है। यह रिपोर्ट एनएफएचएस चार और एनएफएचएस पांच के अनुसार जारी किया है। इसके लिए सरकार भी प्रयास कर रही है कि कुपोषित बच्‍चों की संख्‍या में कमी हो।

By Ashish Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 01 Sep 2022 04:55 PM (IST)Updated: Thu, 01 Sep 2022 04:58 PM (IST)
जमुई : एक साल में जिले में बढ़ गई 33 फीसद कुपोषित बच्चों की संख्या
जमुई में कुपोषित यानी एनिमिक बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी।

संवाद सहयोगी, जमुई। जिले में एक साल में कुपोषित यानी एनिमिक बच्चों की संख्या में 33 फीसद का इजाफा हुआ है। एनएफएचएस चार और एनएफएचएस पांच की रिपोर्ट यह दर्शा रही है। एनएफएचएस चार में जिले में 61.3 फीसद बच्चे एनीमिया से पीड़ित थे जबकि पांच की रिपोर्ट में यह आंकड़ा बढ़कर 81.9 फीसद पहुंच गया है। इसके पीछे कोरोना त्रास्दी भी एक कारण माना जा रहा है। लिहाजा, जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने राष्ट्रीय पोषण अभियान के तहत एनिमिया से मुक्ति के लिए विशेष कार्यक्रम की कवायद शुरु कर दी है। उप विकास आयुक्त की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में कार्य योजना तैयार की गई है। साथ ही इसकी आदर्श व्यवस्था स्थापित करने को लेकर जिले के विभिन्न प्रखंड के 52 स्कूलों को चिन्हित किया गया है।

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इन स्कूलों व पोषण क्षेत्र में आयरन फोलिक एसिड सिरफ और टेबलेट वितरण के साथ ही हीमोग्लोबिन जांच की व्यवस्था रहेगी। इस कार्य में आशा, आंगनबाड़ी, स्कूल प्रबंधन और प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी की भूमिका निर्धारित की गई है। इस संबंध में सिविल सर्जन ने सभी प्रभारी चिकित्सा प्रभारी, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी तथा प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को निर्देशित पत्र निर्गत किया है। वर्तमान के साथ खोखला कर रही भविष्य लोक स्वास्थ्य की गंभीर समस्या एनीमिया भविष्य की नींव को खोखली कर रही है। लिहाजा, प्रशासन ने इससे मुक्ति को लेकर कमर कस ली है।

सभी चिकित्सा प्रभारी को छह माह से 59 महीने के बच्चों एवं स्कूल नहीं जाने वाले छात्र-छात्राओं की पहचान कर आंगनबाड़ी केंद्र अथवा आशा के माध्यम से टेबलेट का सेवन कराने का निर्देश दिया गया है। बच्चों को सिरफ और किशोरों को मिलेगा टेबलेट आशा के माध्यम से मताओं को दवा की आपूर्ति और प्रशिक्षण देने के बाद 6 से 59 माह के बच्चों को आयरन फोलिक एसिड का सिरफ हफ्ते में दो बार बुधवार और शनिवार को माता पिलाएगी। पांच साल से नौ साल के बच्चों को एक गुलाबी गोली हर हफ्ते प्राथमिक विद्यालय में प्रत्येक बुधवार को मध्याह्न भोजन के बाद और स्कूल नहीं जाने वालों को आशा के माध्यम से खिलाई जाएगी।

10 से 19 वर्ष के किशोर किशोरियों को एक नीली गोली हर हफ्ते प्रत्येक बुधवार को स्कूल में तथा स्कूल नहीं जाने वालों को आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से खिलानी है। स्कूलों की की जाएगी होमोग्लोबिन जांच सात सितंबर को जिले के चिन्हित 52 स्कूलों के छात्र छात्राओं का हीमोग्लोबिन जांच किया जाएगा। इस संबंध में सिविल सर्जन ने सभी संबंधित विभाग को पत्र निर्गत कर दिया है। बताया कि चकाई प्रखंड के सात विद्यालय और अन्य शेष प्रखंडों के पांच-पांच स्कूलों में आदर्श स्थिति में आयरन फोलिक एसिड का अनुपुरण की व्यवस्था करनी है।


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