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सज-धज कर तैयार शिवालय, विवाहोत्सव आज

जमुई। महाशिवरात्रि को लेकर जिले में उत्सवी माहौल है। बाबा भोलेनाथ की पूजा-अर्चना की तैयारी में मंदिर समिति सहित हर आम और खास लगे हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Feb 2018 05:29 PM (IST)Updated: Tue, 13 Feb 2018 05:29 PM (IST)
सज-धज कर तैयार शिवालय, विवाहोत्सव आज
सज-धज कर तैयार शिवालय, विवाहोत्सव आज

जमुई। महाशिवरात्रि को लेकर जिले में उत्सवी माहौल है। बाबा भोलेनाथ की पूजा-अर्चना की तैयारी में मंदिर समिति सहित हर आम और खास लगे हैं। मंदिरों का रंग-रोगन के साथ सजावट की जा रही है। शहर में महिसौड़ी, पुरानी बाजार, पंचमंदिर व बस स्टैंड के समक्ष मंदिर की साफ-सफाई स्थानीय लोगों द्वारा की जा रही है। मंदिर को विद्युत सज्जा से सजाने की कवायद जारी है। महाशिवरात्रि को लेकर फलों के दाम आसमान छू रहे हैं। फल खरीदने को लेकर बाजार मे भीड़ देखी जा रही है। सेब 80-100 रुपये किलो, अनार 100 रुपये किलो, संतरा 40-60 रुपये किलो, केला 30 रुपये दर्जन, अंगूर 60 रुपये किलो, नारियल 25 रुपये, खजूर 90-220 रुपये पैकेट (400 ग्राम) बिक रहा है। पत्नेश्वरधाम मंदिर में भोले बाबा के विवाह को लेकर झांकियों की तैयारी अंतिम दौर में है। श्रद्धालु विभिन्न वेष धारण कर बारात में शिरकत करने की तैयारी कर रहे हैं। भंडारा, भजन-कीर्तन और रामधुनी से माहौल भक्तिमय बना है।

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फोटो- 13 जमुई- 2

खैरा(जमुई): प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत गिद्धेश्वर स्थान ऐतिहासिक, पौराणिक और धार्मिक महत्ता को अपने में समाए है। इस स्थान और यहां के मंदिर के साथ कई तरह की पौराणिक मान्यता जुड़ी हुई है। यहां आपरूपी शिव¨लग है। इसके साथ ही भगवान शंकर और माता पार्वती के साथ कई देवी-देवता भी स्थापित हैं। जहां से लोगों की आस्था जुड़ी है। प्रचलित कथा के अनुसार यहां के पर्वत पर ही जटायु ने रावण से उस वक्त युद्ध किया था जब वह माता सीता का हरण कर ले जा रहा था। गुस्से में रावण ने जटायु का पंख काट डाला था और यहीं पर गिरकर जटायु को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। चूंकि जटायु गिद्ध था इसलिए इस स्थान का नाम गिद्धेश्वर और यहां निर्मित मंदिर का नाम गिद्धेश्वर मंदिर पड़ा। गिद्धेश्वर मंदिर का निर्माण खैरा स्टेट के तत्कालीन तहसीलदार लाला हरिनंदन प्रसाद द्वारा लगभग 100 वर्ष पूर्व किया गया है।

यहां प्रत्येक सोमवारी, पूर्णिमा, बसंत पंचमी और शिवरात्रि को हजारों श्रद्धालु आते हैं और भक्ति भाव से भगवान शंकर और माता पार्वती सहित सभी देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करते हैं। इन मौकों पर यहां विशाल मेला लगता है। इस क्षेत्र के लोग अपने फसल का पहला उपज भी भगवान शंकर को अर्पित करते हैं। गिद्धेश्वर स्थान में शिवरात्रि पर आने वाले श्रद्धालुओं की भारी संख्या को देखते हुए प्रबंध समिति के सचिव और मंदिर के निर्माता के वंशजों द्वारा समुचित देखरेख और साफ-सफाई की व्यवस्था की जा रही है। मंदिर का रंग-रोगन भी किया जा रहा है तथा रोशनी का पर्याप्त प्रबंध किया जा रहा है।

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झाझा(जमुई): शिवरात्रि को लेकर मंगलवार को प्रखंड एवं शहर स्थित विभिन्न शिवालयों की सफाई कर भव्य रूप से सजाया गया है। मंदिरों एवं शिवलयों का रंग-रोगन कर बाबा भोले नाथ की पूजा-अर्चना की तैयारी पूरी कर ली गई है। शहर के गांधी चौक स्थित शिव मंदिर, शिव बाजार स्थित शिव मंदिर, पीपराडीह शिव मंदिर, चरधरा शिव मंदिर के अलावा बेनीबांक शिवालय, बलियाडीह शिवालय, बोड़वा शिवालय सहित कई जगहों पर शिवालयों को भव्य विद्युत सज्जा से सजाया गया है। इन शिवालयों में भक्तों की भीड़ भी काफी देखी जाती है। पीपराडीह एवं शिव बाजार से भव्य रूप से बाबा भोले की शिव बारात निकाली जाती है जो शहर के विभिन्न चौराहे से होकर गुजरती है। इस बारात में देवी-देवताओं के अलावा भूत-पिशाच सहित राक्षस की भेषभूसा में सजे लोग आकर्षण का केन्द्र रहता है।


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