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पोषण वाटिका से सेहत के साथ बच्चों का होगा ज्ञानब‌र्द्धन

जमुई। कुपोषण से लड़ाई में प्राथमिक कक्षा से ही बच्चे सेहत सुधारने का ज्ञानव‌र्द्धन करेंगे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 05:50 PM (IST)Updated: Wed, 20 Feb 2019 05:50 PM (IST)
पोषण वाटिका से सेहत के साथ बच्चों का होगा ज्ञानब‌र्द्धन
पोषण वाटिका से सेहत के साथ बच्चों का होगा ज्ञानब‌र्द्धन

जमुई। कुपोषण से लड़ाई में प्राथमिक कक्षा से ही बच्चे सेहत सुधारने का ज्ञानव‌र्द्धन करेंगे। उनका पोषण वाटिका तैयार करने में शारीरिक श्रम और वाटिका से उत्पादित पोषणयुक्त उत्पाद से सेहत सुधरेगा। साथ ही खेती की बारिकी की भी सीख मिलेगी। बच्चे पोषण के प्रति जागरूक और जैविक उत्पाद की महत्ता से बचपन में ही अवगत हो जाएंगे। दरअसल किशोर-किशोरियों के बेहतर पोषण व स्वास्थ्य सुधार के लिए मध्याह्न भोजन योजना द्वारा पहल की गई है। इसके तहत प्रारंभिक विद्यालयों में अंकुरण परियोजना अंतर्गत पोषण वाटिका का निर्माण करना है। बच्चे पोषण वाटिका में सहभागिता निभा कर खाद्य विविधता, जैविक खेती, साग-सब्जियों में पोषण मूल्य आदि की सीख प्राप्त करेंगे। वाटिका से उत्पादित उत्पाद मध्याह्न भोजन में शामिल किया जाएगा। जिला मध्याह्न कार्यालय द्वारा चारदीवारी व ¨सचाई की सुविधा उपलब्ध होने वाले 63 विद्यालयों की सूची मध्याह्न भोजन निदेशक को भेजा गया है।

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विद्यालय परिसर में बनेगा वाटिका:

विद्यायल परिसर में 20 गुना 20 और 20 गुना 30 फीट भूमि में वाटिका का निर्माण होगा। चेतना सत्र में प्रत्येक माह के प्रथम सप्ताह एवं तृतीय सप्ताह को पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा पर प्रकाश डाला जाएगा। कक्षा 6 से 8 के किशोर-किशोरियों के साथ प्रत्येक में दो दिन पोषण वाटिका, पोषण व स्वास्थ्य पर सहभागिता सत्र का आयोजन करना है।

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सहयोग में रहेंगे अन्य विभाग :

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के प्रेषित पत्र में पोषण वाटिका निर्माण के क्रियान्वयन में कृषि विभाग, कृषि विज्ञान केंद्र, सर्व शिक्षा अभियान, स्वास्थ्य विभाग, यूनिसेफ आदि विभागों से सहयोग प्राप्त करने का निर्देश दिया गया है। विभागों की अलग-अलग जिम्मेदारी तय की गई है। जैसे डीएओ द्वारा प्रखंड स्तर पर समीक्षा बैठक, योजना निर्माण, प्रशिक्षण, अनुश्रवण आदि, सहायक निदेशक उद्यान को तकनीकी परामर्श, नियमानुसार बीज एवं फलदार पौधे की उपलब्धता, कृषि वैज्ञानिक द्वारा स्थल चयन, मिट्टी जांच, सुक्ष्म पोषणयुक्त साग-सब्जियों का चयन, प्रशिक्षण, अभिभावकों के साथ बैठक कर वाटिका निर्माण के लिए प्रेरित करना आदि शामिल है।

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चयनित स्कूलों के नाम

प्रखंड- स्कूल

चकाई- मरही बसबुटटी, बिचकोड़वा, करही, गो¨वदपुर, फरियताडीह, बकशीला, मोहबदीया, घटीयारी, दुलमपुर, धाबाटाड, कंदनी, कियाजोरी, सरौन, हेठचकाई, काशजोर, दलनीडीह, घुठिया, एकतारा, अंबाडीह, बेरबारी, कोराने, भलसुम्मा, केवाल, चिहरा।

बरहट- बरहट, कृत्यानंद, बिचला कटौना, लखैय, लकड़ा, मलयपुर।

गिद्धौर- धोबघट, केवाल, महुली, निचली सेवा, सेवा, नयागांव, रतनपुर, महुली हरिजन।

अलीगंज- मिर्जागंज, अवगिला चौरासा।

लक्ष्मीपुर-कला, दिग्घी, गुड़िया।

सिकंदरा-खुटकट, महादेव सिमरिया, पोहे, रामपुर, कुमार, पिरंडा।

सोनो-केशो फरका, मंडरो, डुमरी, थम्मन।

जमुई- काकन, ढंढ, मकतब मडवा।

खैरा- बजराही, सियारीटांड, शोभाखान, नरियाना, नवडीहा, सखीकूरा।

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कोट

पोषण वाटिका के क्रियान्वयन के लिए हर स्कूल में एक नोडल शिक्षक बनाए जाएंगे। इसके अलावा प्रखंड में बीईओ और बीआरपी नोडल पदाधिकारी के रूप में काम करेंगे। हर प्रखंड में एक प्रशिक्षक होगा। जिला स्तर पर प्रशिक्षण के उपरांत प्रखंडों में कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा।

मु. फैयाद अहमद शमसी

डीपीओ एमडीएम, जमुई


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