12 को मनाना उचित रहेगा रक्षाबंधन का त्योहार
संवाद सहयोगी जमुई वैसे तो रक्षाबंधन का त्योहार हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष भद्रा काल पड़ने की वजह से यह पर्व 12 अगस्त को मनाया जाएगा। पंडित मनोहर आचार्य ने बताया कि 11 तारीख गुरुवार को पूर्णिमा तिथि प्रात 0935 से लगेगी और उसी समय से भद्रा काल का भी प्रवेश हो जाएगा जो रात्रि 853 बजे तक कायम रहेगा।
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संवाद सहयोगी, जमुई: वैसे तो रक्षाबंधन का त्योहार हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष भद्रा काल पड़ने की वजह से यह पर्व 12 अगस्त को मनाया जाएगा। पंडित मनोहर आचार्य ने बताया कि 11 तारीख गुरुवार को पूर्णिमा तिथि प्रात: 09:35 से लगेगी और उसी समय से भद्रा काल का भी प्रवेश हो जाएगा, जो रात्रि 8:53 बजे तक कायम रहेगा। दूसरे दिन यानी 12 अगस्त को प्रात: 7:16 बजे तक पूर्णिमा है।
भद्रा काल में ना ही कोई मांगलिक कार्य होते हैं और ना ही रक्षाबंधन और ना ही सुन जिमाने का कार्यक्रम हो सकता है। इसलिए इस वर्ष 12 तारीख शुक्रवार को ही रक्षाबंधन का त्योहार मनाना उचित रहेगा। मनोहर आचार्य ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति 11 तारीख रात्रि काल को रक्षाबंधन करता है तो कर सकता है। लेकिन रात 8:53 के पश्चात उदया तिथि पूर्णिमा 12 अगस्त शुक्रवार को प्रात: 7:15 बजे तक ही है। अत: 12 अगस्त शुक्रवार को 7:30 बजे तक रक्षाबंधन और सुन जिमाने का कार्य अपने घर सगुण करके उदया तिथि के हिसाब से दिन भर रक्षाबंधन का कार्य चलता रहेगा। शास्त्रों में यही कहा गया है कि जो उदया तिथि है उसी का मान दिन भर रहेगा। अत: मांगलिक कार्य पूरे दिन मनाया जाएगा।
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भद्रा में क्यों नहीं बांधी जाती राखी
पंडित मनोहर आचार्य ने बताया कि रक्षाबंधन पर भद्राकाल में राखी नहीं बांधना चाहिए। इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी है। लंकापति रावण की बहन ने भद्राकाल में ही उनकी कलाई पर राखी बांधी थी और एक वर्ष के अंदर उसका विनाश हो गया था। भद्रा शनिदेव की बहन थी। भद्रा को ब्रह्मा जी से श्राप मिला था कि जो भी भद्रा में शुभ या मांगलिक कार्य करेगा, उसका परिणाम अशुभ ही होगा। इसलिए रक्षाबंधन का शुभ दिन 12 अगस्त श्रेष्ठ है।