मंदिरों में नियमपूर्वक हो रही मां दुर्गा की पूजा
जमुई। गुरुवार को देवी कात्यायनी की पूजा के साथ ही नवरात्र का उत्सव जोर पकड़ने लगा। माता के जयकारे के साथ शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के दुर्गा मंदिरों में नियम निष्ठा से विशेष पूजा की जा रही है।
जमुई। गुरुवार को देवी कात्यायनी की पूजा के साथ ही नवरात्र का उत्सव जोर पकड़ने लगा। माता के जयकारे के साथ शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के दुर्गा मंदिरों में नियम निष्ठा से विशेष पूजा की जा रही है।
शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में महिला श्रद्धालुओं ने संध्या आरती कर अपने परिवार की सुख समृद्धि की कामना की। गुरुवार को नवरात्र की छठी पूजा माता कात्यायनी की पूजा के बाद संध्या के समय बेल भरनी पूजा की तैयारी को लेकर दुर्गा माता की डोली निकाली गई। नवरात्र के सातवें दिन शुक्रवार सुबह इस बेल को डोली में बिठाकर दुर्गा मंदिर लाया जाएगा और इसी बेल की पूजा कर देवी के नेत्रों में ज्योति का संचार किया जाएगा।
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व्यवहार न्यायालय परिसर स्थित दुर्गा मंदिर के पुरोहित आचार्य ललन पांडे ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार नवरात्र के सातवें दिन दुर्गा मां के कालरात्रि रूप की पूजा की जाती है। मां दुर्गाजी का सप्तम स्वरूप मां कालरात्रि देवी का है। दुर्गा मां की पूजा का सातवां दिन भी नवरात्रि के दिनों में बहुत महत्वपूर्ण है। सदैव शुभ फल देने के कारण इनको शुभंकरी भी कहा जाता है। कहा जाता है कि मां कालरात्रि की पूजा करने से काल का नाश होता है। मां के इस स्वरूप को वीरता और साहस का प्रतीक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि मां कालरात्रि की कृपा से भक्त हमेशा भयमुक्त रहता है, उसे अग्नि, जल, शत्रु आदि किसी का भी भय नहीं होता। कालरात्रि देवी का शरीर रात के अंधकार की तरह काला है। भक्तों के लिए मां कालरात्रि सदैव शुभ फल देने वाली है। मां की पूजा करने से सभी विपदाओं का नाश होता है। मां कालरात्रि की पूजा करने से आकस्मिक संकटों से रक्षा होती है। शक्ति का यह रूप शत्रु और दुष्टों का संहार करने वाला है।