अस्पताल में नहीं है एमआरआइ व सीटी स्कैन की व्यवस्था
जमुई। जांच से गंभीर रोग की पुष्टि व स्टेज का पता चलता है जिसके आधार पर डॉक्टर इलाज शुरू करते हैं।
जमुई। जांच से गंभीर रोग की पुष्टि व स्टेज का पता चलता है जिसके आधार पर डॉक्टर इलाज शुरू करते हैं। जमुई सदर अस्पताल में गंभीर रोग से ग्रसित रोगियों को चिकित्सक के अनुभव का ही सहारा है या फिर रेफर करना विवशता होती है। नक्सल प्रभावित व आर्थिक रूप से पिछड़े जिला के सदर अस्पताल में एमआरआइ व सीटी स्केन की व्यवस्था नहीं है तो जांच घर भी अधूरा है। नतीजतन मरीजों को पटना की दौड़ लगानी पड़ती है। जिससे उसका मानसिक, शारीरिक और आर्थिक नुकसान स्वभाविक है। सदर अस्पताल में मैग्नेटिक रेजोनेंस इमे¨जग (एमआरआइ) एवं सीटी स्कैन की व्यवस्था नहीं है। लिहाजा सड़क दुर्घटना या अन्य दुर्घटना के साथ सामान्य सिर की चोट की शिकायत की यहां पूरी तरह जांच नहीं हो पाती है। गरीब तबकों के लिए पटना जाना-आना एक समस्या बन जाती है।
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मशीन उपलब्ध फिर भी जांच घर है अधूरा :
सदर अस्पताल में यूरिन एनालाइजर, एनालाइजर रिडर, सेमी आटो एनालाइजर व सीबीसी फाइव पार्ट मशीन उपलब्ध है। परंतु इसे पूरी तरह चालू नहीं किया जा सका है। नतीजतन गंभीर रोग यथा किडनी, लीवर से संबंधित महंगी जांच नहीं हो रही है। फिलवक्त मुख्यत: हिमोग्लोबीन, ब्लड ग्रुप, एचआइवी, हेपाटाइटिस बी वाइरस, यूरिन रूटीन, वीडीआरएल, सुगर, डेंगु, चिकनगुनिया, मियादी व मलेरिया आदि की जांच होती है।
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जुगाड़ विधि से चलाई जाती है मशीनें :
जांच घर में दो तकनीकी जांच कर्मी के सहारे व्यवस्था चलाई जा रही है। ये कर्मी भी दूसरे विभाग (यक्ष्मा और एडस) से प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत है। जांच घर में न तो रैक बना है और न ही मानक के अनुरूप बिजली वाइ¨रग है। मतलब जुगाड़ विधि से मशीनें चलाई जाती है। कर्मियों के अनुसार कम से कम छह कर्मी जांच घर के लिए होना चाहिए।
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कहते हैं डीपीएम
डीएचएस के डीपीएम सुधांशु नारायण लाल ने बताया कि कुछ जांच को शुल्क सेवा के दायरे में लाना है। रोगी कल्याण समिति की बैठक में शुल्क निर्धारण के संबंध में निर्णय होने के बाद व्यवस्था आम लोगों के लिए भी प्रारंभ हो जाएगी। एमआरआइ व सीटी स्कैन की सुविधा फिलहाल उपलब्ध नहीं है।