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31 साल बीत गए, नहीं गूंजी बच्चों की किलकारी

जमुई। ग्रामीण इलाकों में सुरक्षित संस्थागत प्रसव की परिकल्पना के साथ 24 गुणा सात सेवा शुरू की गई थी। मकसद था कि दाई की जगह प्रशिक्षित नर्स सामान्य प्रसव कराए। साथ ही जचा-बचा की समुचित देखभाल हो सके।

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Jul 2021 07:10 PM (IST)Updated: Mon, 26 Jul 2021 07:10 PM (IST)
31 साल बीत गए, नहीं गूंजी बच्चों की किलकारी
31 साल बीत गए, नहीं गूंजी बच्चों की किलकारी

जमुई। ग्रामीण इलाकों में सुरक्षित संस्थागत प्रसव की परिकल्पना के साथ 24 गुणा सात सेवा शुरू की गई थी। मकसद था कि दाई की जगह प्रशिक्षित नर्स सामान्य प्रसव कराए। साथ ही जच्चा-बच्चा की समुचित देखभाल हो सके। पर हकीकत वादों के साथ बेमानी कर गया है।

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महादेव सिमरिया अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में स्थापना काल से अभी तक बच्चों की किलकारी की गूंज दबकर रह गई। विभागीय उदासीनता के कारण अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बदहाली का शिकार होकर रह गया हैं। अस्पताल परिसर में ही चिकित्सक का बना क्वार्टर खंडहर में तब्दील हो गया है।

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किलकारी सुनने को तरस रहा है स्वास्थ्य केंद्र

ग्रामीण इलाकों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर 20 जनवरी 1990 में बड़े ही तामझाम के साथ तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव व तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री सुधा श्रीवास्तव द्वारा महादेव सिमरिया में अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र का उद्घाटन किया गया था। उस समय दो चिकित्सक के साथ मानक के मुताबिक अन्य स्वास्थ्य कर्मी की तैनाती की गई थी। पर बदलते समय के साथ कालांतर में मानक के अनुसार दो चिकित्सक की जगह एक भी चिकित्सक कार्यरत नहीं हैं। दो एएनएम की जगह एक एएनएम, ग्रेड ए नर्स दो की जगह एक कार्यरत हैं। ड्रेसर के दोनों पद रिक्त पड़े हैं। इस तरह से कर्मियों की कमी की वजह से सुरक्षित प्रसव का सपना अधूरा रह गया है। अस्पताल की स्थापना के 31 साल बीतने के बाद भी अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र महादेव सिमरिया बच्चों की किलकारी सुनने को तरस रहा है।

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धरी की धरी रह गई उम्मीद

ग्रामीण प्रताप सिंह कहते हैं कि अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र बनने से क्षेत्रीय लोगों में खुशी हुई कि अब प्रसव व टीकाकरण आदि के लिए दूर अस्पताल नहीं जाना पड़ेगा। इसके अलावा महिला स्वास्थ्य व कुपोषण के प्रति विभागीय ध्यान आसानी से उपलब्ध होगा। 31 साल बीत जाने के बाद भी उक्त केंद्र पर चिकित्सक के साथ एएनएम व ए ग्रेड नर्स, ड्रेसर की कमी से लोगों की उम्मीदें धरी की धरी रह गई।

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ग्रामीण अवधेश कुमार सिंह ने कहा कि यदि केंद्र पर व्यवस्था सुचारु रूप से संचालित होती तो 40 गांव के लोगों के अलावा क्षेत्र की महिलाओं को काफी लाभ मिलता। प्रसव आदि की सुविधा मिल जाती तो दूर अस्पताल नहीं जाना पड़ता। विभागीय उदासीनता का आलम है कि इस केंद्र की ओर कोई ध्यान नहीं है।

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जटाशंकर मिश्रा कहते हैं कि अस्पताल बनने पर महादेव सिमरिया के लोगों में खुशी जरूर छाई परन्तु स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था के बीच सपने दबकर रह गए।सिमरिया के अलावा आसपास गांव के लोग स्वास्थ्य समस्या आने पर दस किलोमीटर दूर सिकन्दरा एवं जमुई का चक्कर लगाते हैं। इन सब के बावजूद कोई सुधि लेने वाला नहीं है।

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कोट:

अस्पताल की व्यवस्था क्या है। चिकित्सक के अलावा अन्य स्वास्थ्य कर्मी नहीं हैं तो क्यों नहीं है।इसकी जानकारी लेकर जांच की जाएगी। बहरहाल ग्रामीणों के स्वास्थ्य सुविधा का ख्याल रखते हुए शीघ्र इस पर कार्रवाई की जाएगी।

डा. अजय कुमार भारती, सिविल सर्जन, जमुई


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