Jamui News: सरौन मां दुर्गा में होती मनोकामना पूर्ण, बिहार-झारखंड बार्डर पर अवस्थित है मंदिर: नवरात्रि पर लगाता है मेला
बिहार-झारखंड की सीमा पर चकाई प्रखंड के सरौन में अवस्थित मां दुर्गा मंदिर मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली के रूप में विख्यात है। कलश स्थापना के साथ ही यहां प्रत्येक दिन दुर्गा सप्तशती पाठ में बड़ी संख्या में विभिन्न गांवों के लोग भाग लेते हैं।
जमुई, जागरण संवाददाता। बिहार-झारखंड की सीमा पर चकाई प्रखंड के सरौन में अवस्थित मां दुर्गा मंदिर मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली के रूप में विख्यात है। यहां बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल सहित कई अन्य प्रांत से भक्त पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं। कलश स्थापना के साथ ही यहां प्रत्येक दिन दुर्गा सप्तशती पाठ में बड़ी संख्या में विभिन्न गांवों के लोग भाग लेते हैं।
अष्टमी, नवमी एवं विजयादशमी के दिन मंदिर के बगल में स्थित मैदान में भव्य मेले का आयोजन होता है। मंदिर का इतिहास लगभग आठ दशक पूर्व से यहां मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की जा रही है। कहा जाता है कि जब मंदिर कच्चे मकान में था, तब सरौन निवासी खुसरू साव लोगों से चंदा लेकर प्रतिमा स्थापित करते थे।
मन की मुराद होती है पूरी
तब से प्रत्येक वर्ष बड़े ही धूमधाम से प्रतिमा स्थापित की जाती है। कालांतर में मां की असीम कृपा भक्तों पर बरसी और आज मंदिर एक आकर्षक रूप ले चुका है। मंदिर की विशेषता भक्तों में सरौन की मां दुर्गा पर असीम श्रद्धा है। यही कारण है कि बिहार, झारखंड एवं बंगाल से बड़ी संख्या में भक्त पूजा-अर्चना करने पहुंचते हैं।
बलि चढ़ाने की है प्रथा
मनोकामना पूर्ण होने पर यहां बकरे की बलि दी जाती है। साथ ही कोई भी शुभ कार्य करने से पूर्व एवं बाद में चकाई के लोग आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मां की चौखट पर हाजिरी जरूर लगाते हैं। भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए प्रसिद्ध है। जो भी भक्त यहां सच्चे दिल से कुछ मांगता है।उसकी मुराद मां जरूर पूरी करती हैं।
यहां विशेष पूजा-अर्चना के अवसर पर भक्तों की भीड़ रहती है। लोगों के लिए आस्था का केंद्र है। दशरथ पांडेय, मुख्य पुजारी मां की पूजा कर असीम शांति और संतुष्टि मिलती है। हम हर साल पूजा के यजमान होते हैं। मां की कृपा यहां सभी पर बरसती है। मां दुर्गा बुराई पर अच्छाई की जीत दिलाती है। दशहरा आते ही इलाके में भक्तिमय माहौल बन जाता है।