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मुन्ना सिंह हत्याकांड में बर्खास्त दरोगा को मिली 5 साल की सजा लगा जुर्माना

जमुई। जमुई के चर्चित मुन्ना सिंह हत्याकांड मामले में जमुई के चर्चित मुन्ना सिंह हत्याकांड मामले में आरोपी जमुई के तत्कालीन बर्खास्त दरोगा जितेंद्र कुमार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम ने हत्या की धारा 302 में आजीवन कारावास की जगह गैर इरादतन हत्या की धारा 304 में 5 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई और जुर्माना भी लगाया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 09 Oct 2020 11:02 PM (IST)Updated: Fri, 09 Oct 2020 11:02 PM (IST)
मुन्ना सिंह हत्याकांड में बर्खास्त दरोगा को मिली 5 साल की सजा लगा जुर्माना
मुन्ना सिंह हत्याकांड में बर्खास्त दरोगा को मिली 5 साल की सजा लगा जुर्माना

जमुई। जमुई के चर्चित मुन्ना सिंह हत्याकांड मामले में आरोपी जमुई के तत्कालीन बर्खास्त दरोगा जितेंद्र कुमार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम ने हत्या की धारा 302 में आजीवन कारावास की जगह गैर इरादतन हत्या की धारा 304 में 5 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई और जुर्माना भी लगाया।

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इस मामले में एक और आरोपी तत्कालीन गिद्धौर थाने के बर्खास्त बरी किया जा चुका है । वर्ष 2013 के जून माह में बैकुंठ वर्णवाल के अपहरण मामले में लखापुर गांव के मुन्ना सिंह को गिरफ्तार कर जमुई जेल से जमुई पुलिस ने रिमांड पर लेकर बर्बरतापूर्ण तरीके से पिटाई कर दी। उसकी इलाज के दौरान पटना में मौत हो गई । इस मामले ने इतना तूल पकड़ा कि जमुई प्रशासन के लिए वह सिर दर्द हो गगया था। बड़ी परेशानी के बाद किसी तरह इस मामले को शांत किया जा सका और जेल अधीक्षक के बयान पर जमुई थाने में दोनों थाना प्रभारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करते हुए उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। फरारी की स्थिति में दोनों के जमानत की अर्जी जब ऊपरी अदालत तक खारिज हो गई। तब उन्होंने न्यायालय में सरेंडर कर मुकदमे में ट्रायल फेस किया†ा। इस दौरान जवान मुन्ना सिंह के वृद्ध पिता कुशेश्वर सिंह लगातार मुकदमे में हर रोज न्यायालय के आदेश के आलोक में तारीख पर आते रहे। इस मुकदमे में पेंच दर पेंच इतने पेंच लगे कि दर्जन बार मुकदमे के ट्रायल को बिलंब से बचाने के लिए कुशेश्वर सिंह ने भी अभियुक्त के साथ हाईकोर्ट में अपना जोरदार विरोध जताया। इस केस में पुलिस ने पहले ही गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया था, जिसे संघर्ष के बाद घटना के 3 साल बीतने पर 2016 में हत्या की धारा 302 में न्यायालय के आदेश पर दर्ज किया गया। इस मामले में गवाही और दस्तावेजों को लेकर भी कई बार विरोध पटना उच्च न्यायालय तक पहुंचा ,लेकिन हर बार कुशेश्वर सिंह ने जीत दर्ज करते हुए अपने पक्ष को मजबूती से ट्रायल कोर्ट में रखा। इस मामले में सुलह समझौते दबाव एवं हर तरह के प्रयास को कुशेश्वर सिंह ने यह कहकर नकार दिया कि मृतक मुन्ना सिंह उनका इकलौता बेटा था जिस पर किसी तरह का आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं था और उसकी हत्या के मामले में वे न्याय के लिए लड़ते रहेंगे, समझौता नहीं कर सकते। इसी मामले में जमुई के पूर्व अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम अजय कुमार श्रीवास्तव ने 18 सितंबर 2019 को एक अभियुक्त गिद्धौर के तत्कालीन थाना प्रभारी सत्यव्रत भारती को रिहा कर दिया था और तभी से इस आदेश के खिलाफ पटना उच्च न्यायालय में अपील दायर करने के बाद से कुशेश्वर सिंह की हिम्मत टूट गई और वे हताश रहने लगे । शुक्रवार को जमुई के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम सैयद मोहम्मद शब्बीर साहब ने जितेंद्र कुमार को धारा 304 भादवि में 5 साल के सश्रम कारावास की सजा और ?50000 जुर्माना भी लगाया अभियुक्त को धारा 325 331 ,352भादवि के तहत भी अलग से सजा सुनाई गई और जुर्माना भी लगाया गया। जुर्माना की राशि में से आधा मृतक के निकट रिश्तेदार को देने का आदेश दिया गया है। इसे दुर्भाग्य कहें अथवा संयोग कि जब दरोगा जितेंद्र कुमार को सजा सुनाई जा रही थी तब मृतक मुन्ना सिंह के पिता कुशेश्वर सिंह कोर्ट में मौजूद नहीं थे क्योंकि लगभग 1 महीने पहले अचानक बीमार पड़ने के बाद इलाज के दौरान उनकी मौत हो चुकी है । मृतक मुन्ना सिंह के परिवार में अब उनकी पत्नी ,दो छोटी बेटियां और एक बेटे के सिवा कोई नहीं बचा है । ऐसे में अपने बेटे की मौत पर उसके हत्यारों को सजा दिलाने के लिए मुकदमा लड़ रहे कुशेश्वर सिंह से कोई प्रतिक्रिया भी नहीं ली जा सकती है जो अमूमन हर न्यायालय आदेश के बाद उससे असंतुष्ट होने पर ऊपरी अदालत में उस आदेश को चैलेंज करने की बात कहा करते थे।


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