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महावीर वाटिका के कारण राष्ट्रीय फलक पर माधोपुर की पहचान, सिचाई के अभाव में पलायन का दंश

जमुई। माधोपुर में प्रसिद्ध ईको पार्क महावीर वाटिका का निर्माण होने के बाद से इस पंचायत को न

By JagranEdited By: Published: Fri, 05 Mar 2021 06:42 PM (IST)Updated: Fri, 05 Mar 2021 06:59 PM (IST)
महावीर वाटिका के कारण राष्ट्रीय फलक पर माधोपुर की पहचान, सिचाई के अभाव में पलायन का दंश
महावीर वाटिका के कारण राष्ट्रीय फलक पर माधोपुर की पहचान, सिचाई के अभाव में पलायन का दंश

जमुई। माधोपुर में प्रसिद्ध ईको पार्क महावीर वाटिका का निर्माण होने के बाद से इस पंचायत को नई पहचान मिली है। 110 एकड़ में फैले इस पार्क के कारण पर्यटन के क्षेत्र में न केवल माधोपुर बल्कि चकाई एवं जमुई जिले की एक विशेष पहचान बनी है। बीते जनवरी में सूबे के मुखिया नीतीश कुमार पार्क पहुंचकर इसका विधिवत जायजा भी ले चुके हैं। जिस प्रकार सरकार की नजर इस वाटिका पर है इससे उम्मीद की जा सकती है कि यह वाटिका भविष्य में चकाई के लिए वरदान साबित होगा। खासकर स्थानीय लोगों के लिए यह पार्क रोजगार का स्वर्णिम द्वार खोलेगा, ऐसी उम्मीद की जा सकती है। हालांकि पिछले कार्यकाल में माधोपुर को प्रखंड बनाने की नीतीश कुमार घोषणा अभी ठंडे बस्ते में बंद है। प्रखंड मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर माधोपुर पंचायत स्थित है। राष्ट्रीय राजमार्ग 333 के दोनों ओर हर तरह की दुकानें हैं अर्थात इस जगह पर एक छोटा सा बाजार है जहां स्थानीय लोग रोजगार में जुटे हैं। पंचायत के लोगों का मुख्य पेशा कृषि एवं दैनिक मजदूरी है। लेकिन सिचाई की पर्याप्त साधन नहीं होने के कारण उत्पादकता बहुत ही कम है। यही कारण है कि बड़ी संख्या में स्थानीय लोग मजदूरी के लिए दूसरे राज्यों में पलायन कर चुके हैं। हालांकि कोरोना काल में उपजे आर्थिक संकट के बाद बड़ी संख्या में लोग दूसरे प्रदेशों से वापस अपने घर लौटकर मनरेगा से जुड़े हैं।

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पंचायत का परिचय एवं भोगौलिक स्थिति

पूरब- डढ़वा पंचायत

पश्चिम- नावाडीह सिल्फरी पंचायत

उत्तर- नावाडीह सिल्फरी पंचायत

दक्षिण- कियाजोरी पंचायत

कुल आबादी- 10000

कुल मतदाता- 6500

पुरुष मतदाता- 3300

महिला मतदाता- 3200

कुल वार्ड- 14

कुल गांव- 24

उच्च विद्यालय- 1

मध्य विद्यालय- 6

नवीन प्राथमिक विद्यालय- 7

आंगनबाड़ी केंद्र- 14

उप स्वास्थ्य केंद्र- 1

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प्रमुख शख्शियत

माधोपुर बाजार निवासी सूरज कुमार पिता चेतु राम पूर्णिया में एसबीआइ में शाखा प्रबंधक हैं।

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दुर्गा मंदिर है आस्था का मुख्य केंद्र

माधोपुर में स्थित प्रसिद्ध दुर्गा मंदिर ह•ारों लोगों के आस्था का प्रमुख केंद्र है। यहां आश्विन माह में मां दुर्गा की विशाल प्रतिमा स्थापित की जाती है तथा मेले का आयोजन किया जाता है। साथ ही कार्तिक माह में दीपावली के अवसर पर मां काली की प्रतिमा स्थापित कर मेले का आयोजन किया जाता है। भक्तों का ऐसा मानना है कि जो भी सच्चे दिल से मां के दरबार मे हाजरी लगाता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।

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विकास का दावा पर स्वच्छता में फिसड्डी

पिछले पांच वर्ष से गोपाल कृष्ण साह पंचायत के मुखिया हैं। इनके नेतृत्व में पंचायत में विकास के कई कार्य किए गए हैं। जल-नल योजना के साथ ही गली-नली के पक्कीकरण का कार्य लगभग सभी वार्डों में हुआ है। साथ ही लोगों को रोजगार देने के लक्ष्य के साथ मनरेगा से पोखर, आहर, कुआं का निर्माण एवं जीर्णोद्धार बड़े पैमाने पर किया गया है। बावजूद स्वच्छता का हाल बेहाल है। चौक चौराहों पर रखने के लिए डस्टबीन की खरीद मुखिया द्वारा अब तक नहीं की गई है। पंचायत के मुख्यालय में बाजार है। वहां भी साफ सफाई की स्थिति औसत है। साथ ही पंचायत को रोशन करने के लिए स्ट्रीट लाइट भी नहीं लगवाई गई है। हालांकि पंचायत में दो जगह बौने एवं किशनजोरी गांव में सामूहिक शौचालय का निर्माण किया गया है।

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मुखिया का दावा

मुखिया कृष्ण गोपाल साह कहते हैं कि पंचायत का समुचित विकास हो सके इसके लिए पिछले पांच वर्षों में हर तरह के जनोपयोगी कार्यों को करने का प्रयास किया गया है। हर लोग तक विकास की किरण पहुंच सके इसके लिए वार्ड वार जल-नल, गली-नली, सिचाई के साधन के साथ ही रोजगार उपलब्ध कराने का प्रयास किया गया है। वर्तमान कार्यकाल में अबतक 300 प्रधानमंत्री आवास, 400 शौचालय, मनरेगा के तहत 30 पोखर, 50 सोख्ता, 13 चापाकल, 3 पुलिया, 10 पूल, 45 पशु शेड, 20 बकरी शेड, 2 मुर्गी शेड, 3 कूप, 16 नाला एवं 100 पीसीसी सड़क, 10 कच्ची सड़क का निर्माण कराया गया है। साथ ही तीन सौ से अधिक वृद्धा, विधवा एवं दिव्यांग का पेंशन शिविर लगाकर किया गया है। ऐसा नहीं है कि विकास के लक्ष्य को पूरा कर लिया गया है। परंतु विकास को गति देने का भरपूर प्रयास किया हूं।

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बन रहा है पंचायत भवन

पूर्व में बना पंचायत भवन ध्वस्त हो चुका है। वर्तमान में पंचायत सरकार भवन का निर्माण कार्य लगभग पूरा कर लिया गया है।

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किया गया है पौधरोपण

पंचायत में कई जगहों पर वन विभाग की जमीन है। वन विभाग का कार्यालय भी उपलब्ध है। मुखिया द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए 60 यूनिट वृक्षारोपण का कार्य किया गया है।

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कहते हैं पंचायत के निवासी

वर्तमान मुखिया द्वारा विकास के अनगिनत कार्य किए गए हैं। लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध हुआ है। साथ ही गलियों का भी पक्कीकरण हुआ है। कोरोना काल के बाद लोगों को मनरेगा के माध्यम से रोजगार भी मिला है।

शिव नारायण शर्मा

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मुखिया कृष्ण गोपाल साह ने सिचाई को प्राथमिकता दिया है। यही कारण है कि मनरेगा के माध्यम से दर्जनों अहार का निर्माण एवं जीर्णोद्धार का कार्य किया है। बावजूद अभी भी पंचायत में सिचाई की समस्या सबसे बड़ी समस्या है।

शंकर दास

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कृषि कार्य मानसून की बारिश पर निर्भर होने के कारण लोगों की स्थिति दयनीय है। यही कारण है कि लोग कृषि कार्य को छोड़कर अन्य राज्यों में पलायन को मजबूर हैं। सरकार द्वारा अगर लघु एवं कुटीर उद्योग को बढ़ावा दिया जाए तो लोगों का पलायन रुक सकता है।

महेश कुमार वर्मा

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पंचायत में विकास के काफी कार्य किए गए हैं। विशेषकर कोरोना जैसे वैश्विक आपदा के समय में मुखिया द्वारा जरूरतमंदों के बीच राहत सामग्री के रूप में चावल, दाल, आटा, सरसों का तेल एवं मास्क का वितरण व्यापक स्तर पर किया गया था।

भिठल ठाकुर

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माधोपुर प्रखंड बनने की सभी अहर्ताओं को पूरा करता है। प्रखंड मुख्यालय से इसकी दूरी काफी दूर है। बावजूद इसे आजतक प्रखंड का दर्जा नहीं मिल पाया। अगर प्रखंड का दर्जा मिल जाए तो लोगों की बहुत सारी समस्या दूर हो सकती है।

मोबिन अंसारी

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मुखिया द्वारा पंचायत में हर क्षेत्र में विकास के कार्य तो किए गए हैं लेकिन अब तक एक भी स्ट्रीट लाइट नहीं लगाया गया है। साथ ही साफ सफाई की समुचित व्यवस्था भी नहीं हो पाई है।

जट्टू दास

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प्रखंड मुख्यालय से पंचायत की दूरी 10 किलोमीटर से भी अधिक है। प्रखंड की अहर्ता रखने के बावजूद भी यहां एक भी ऐसा अस्पताल नहीं है जहां लोगों का समुचित इलाज हो सके। लोगों को छोटी-छोटी बीमारी के इलाज के लिए चकाई रेफरल अस्पताल जाना पड़ता है। ऐसे में लोगों को काफी असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। अगर एक अच्छा सा अस्पताल उपलब्ध हो जाए तो लोगों को स्वास्थ्य सुरक्षा की गारंटी मिल जाए।

छबिया देवी

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सिचाई के अभाव में किसान दूसरे राज्यों में पलायन को मजबूर हैं। पानी के अभाव में किसान केवल धान एवं आलू का ही उत्पादन कर पाते हैं। साथ ही धान का फसल भी इंद्र देवता की मेहरबानी पर निर्भर करता है। यही कारण है कि लोग दूसरे राज्यों में पलायन को मजबूर हैं।

राजेश दास


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