घर पर जवानों की सुरक्षा कौन करेगा
जमुई। देश की रक्षा में अपना सर्वस्व न्यौछावर करने का जज्बा रखने वाले जवानों की सुरक्षा कौन क
जमुई। देश की रक्षा में अपना सर्वस्व न्यौछावर करने का जज्बा रखने वाले जवानों की सुरक्षा कौन करेगा। दुश्मन की आंखों में आंख डालकर देशवासी व सरहद की हिफाजत करने वाले जवानों की सुरक्षा घर पर कैसे होगी? यह सवाल नक्सलियों द्वारा छुट्टी मनाने घर पहुंच एसएसबी जवान सिकंदर की हत्या के बाद हर किसी के जुबान पर था। पिता सहित भाई व ग्रामीण घटना को लेकर मर्माहत थे तो पुलिसिया कार्रवाई को लेकर आक्रोशित। मृतक के पिता किशुन ने कहा कि दूसरे की रक्षा करने की कसम खाने वाले उसके फौजी बेटा की हिफाजत पुलिस नहीं कर सकी। घटना के दौरान सूचना दिए जाने के बावजूद पुलिस दो घंटे बाद पहुंची, जबकि कैंप व थाना की दूरी महज तीन किलोमीटर है। भाई कैलाश यादव ने कहा कि पुलिस जबतक पहुंची तब तक नक्सली अपने मनसूबे में कामयाब होकर आराम से जंगल तक का रास्ता तय कर चुके थे। तीन दिनों से गश्ती भी नहीं की जा रही थी। जन्मदिन व पूजा को लेकर सभी छह भाई व बहन इस मौके पर जुटे थे। घर में दीपावली व दशहरा जैसा नजारा था।
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कमांडो साहब कहां हैं
जमुई : गांव में प्यार से कमांडो साहब कहलाना सिकंदर को भारी पड़ गया। नक्सलियों ने इसी नाम से उसे पुकारा और घर वाले को खतरे का एहसास नहीं हो सका। किशुन यादव के छह बेटों में पांचवा बेटा सिकंदर के शांत व्यवहार व अनुशासित जीवन शैली के लिए लोग उसे प्यार से कमांडो साहब कहते थे। सोमवार की रात जब दो आदमी कमांडो साहब कहां हैं, की आवाज लगाई तो परिजन को नक्सली होने की शक तक नहीं हो पाई। भाई कैलाश ने बताया कि जब नक्सलियों ने सिकंदर का हाथ बांधा तो उन्हें खतरे का एहसास हुआ और वो उसे छोड़ने की आग्रह करने लगे। इस पर नक्सली ने सिर्फ पूछताछ कर छोड़ देने की बात कह सभी को हथियार दिखाकर कहा कि पीछे आओगे तो गोली मार देंगे। सभी भाई के खातिर घर में ही रुक गए मगर पिताजी नहीं माने और वे पीछे-पीछे चल दिए। नक्सलियों ने पहले लाठी से सिकंदर की पिटाई की और बाद में मुखबिरी का आरोप लगाते हुए गोली मार दी। कैलाश ने बताया कि हल्का भी शक हो जाता तो भाई को छुपा देते या फिर उसकी ढाल बन खड़े हो जाते।
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पिता के सामने पुत्र की हुई हत्या
जमुई: पिता किशुन यादव की जुबान पर ताला तो आंखों के समक्ष छटपटाते बेटे की तस्वीर ने विचलित कर दिया है। घटना के बाद बस उनके जुबान पर एक ही रट लगा था कि उनके सामने बेटे की हत्या हो गई और वे देखते रह गए। उन्होंने बताया कि जब नक्सली पिटाई कर रहे तो वे नक्सलियों से बेटे को बख्शने की गुहार लगा रहे थे। उन्हें उम्मीद थी कि पिटाई करने के बाद नक्सली सिकंदर को छोड़ देगा। उन्होंने बताया कि उन्होंने नक्सलियों से कहा कि उनका बेटा मुखबिर नहीं है। अभी परसो ही घर लौटा है। बेचारा नौकरी करता है। इसे छोड़ दो मुझे मार दो। इसके बीबी बच्चे अनाथ हो जाएंगे। मगर नक्सलियों ने एक नहीं सुनी और उसे धक्का देकर सिकंदर के शरीर में गोली दाग दी। जाते-जाते सिर में गोली मार दी। मैं निसहाय और लाचार हो अपने बेटे को मौत के मुंह में जाते देखता रह गया।
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सिसकी व आंसू में डूबा जश्न का उल्लास
जमुई: विश्वकर्मा पूजा और सिकंदर की आठ वर्ष की गुड़िया बेटी खुशी के जन्मदिन के जश्न में पूरा परिवार डूबा था। घर के दरवाजे पर खड़ी ट्रकों के पूजा की तैयारी चल रही थी तो जन्मदिन पर रूम को सजाया जा रहा था। बैलून से बर्थडे टेबल को सजाया गया था। बस केक कटना बाकी था। जन्मदिन व पूजा को लेकर सभी भाई के अलावा बहन भी मायके आई थी। लोग भोज में शामिल होने आने लगे थे। हर तरफ हंसी व ठहाके के साथ खुशियां बिखर रही थी। महिलाएं व बच्चियां भी ठिठोली में मस्त थी। मगर एक घटना ने पूरा परिवार की खुशी व उमंग को आंसू में बदल दिया। जिस घर से ठहाके की गुंज उठ रही थी वहां से अब सिसकी व चीख-पुकार व दहाड़ने की आवाज उठने लगी थी। बच्चे को भी खामोशी ने घेर लिया था तो भोज में शरीक होने आए लोग दुख में पीड़ित परिवार का ढ़ांढस बंधाने लगे। मृतक सिकंदर की मां मूर्ति देवी बार-बार एक ही रट लगा रही थी यह क्या होगा। किसकी नजर लग गई। भगवान ने किस जन्म का बदला लिया तो 10 वर्षीय बेटा अंकित का रो-रोकर कर बुरा हाल था। पत्नी पबिया देवी की चीत्कार से लोग मर्माहत थे और संभालने वाली महिलाएं भी बेकाबू हो रही थी।
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तीन किलोमीटर चलने में बरहट पुलिस को लगे दो घंटे
जमुई: रेडी-टू-एक्शन मूव में रहने का भरोसा दिलाने वाली पुलिस को तीन किलोमीटर का रास्ता तय करने में दो घंटे का समय लग गया। इस बात को लेकर मृतक सिकंदर के परिजन खासे आक्रोशित थे। मृतक के भाई हरी यादव, अशोक यादव ने बताया कि लगभग नक्सली द्वारा सिकंदर का बंधक बनाए जाने के साथ ही लगभग पौने नौ बजे पुलिस को सूचना दी गई। इसके बाद कई बार पुलिस से घटनास्थल पर पहुंचने का आग्रह किया गया। ¨कतु पुलिस 11 बजे रात को घटनास्थल पर पहुंची। थाना पुलिस के बाद डीएसपी भी घटनास्थल पर पहुंच गए। इसके बाद पुलिस ने गोलियां चलाई मगर तब तक नक्सली जा चुके थे। पचेश्वरी की घटना में भी पुलिस समय पर नहीं पहुंच सकी थी। इधर थानाध्यक्ष सुनील कुमार ने बताया कि सूचना मिलने के साथ ही घटनास्थल पर पहुंचने की कवायद शुरू कर दी गई। पूरी व्यवस्था के साथ घटनास्थल पर पहुंचना था।
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तुरंत लौटा था घर
जमुई: एसएसबी 48 बटालियन में कार्यरत सिकंदर ने वर्ष 2006 में नौकरी ज्वाइन की थी। परिवार वालों ने बताया कि हमेशा ड्यूटी के प्रति गंभीर रहना उसके स्वभाव में शामिल था। अक्सर छुट्टी पर वह घर आता था। गांव में हर किसी का सम्मान करता था और लोग उसे सम्मान करते थे। आज तक उसका किसी से कोई विवाद नहीं हुआ है। बाकी पांच भाई रोजगार से जुड़े हैं। घर का माहौल हमेशा खुशगवार रहा। विश्वकर्मा पूजा के लिए भी सारे सामानों की खरीदारी सिकंदर ने ही की थी। सोमवार की शाम वह दोबटिया गांव से कुछ सामान खरीदकर वापस लौटा था कि दस मिनट बाद ही नक्सली आ धमके। काश वह थोड़ा और देर से घर लौटता तो संभवत: नक्सली से बच जाता।
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नक्सली हत्या एक नजर में
= 14-7-17 को नक्सलियों ने कुकुरझप डैम पर मां सहित दो बेटे की हत्या कर दी थी। कुमरतरी निवासी मां मीना देवी, पुत्र शिव व बजरंगी पर भी मुखबिरी का आरोप लगाया था।
= 3-3-18 को हाईस्कूल पचेर्श्वरी में हमला कर दो भाई मदन कोड़ा, प्रमोद कोड़ा की हत्या। जंगल क्षेत्र के ग्रामीण नक्सली खौफ से अपने-अपने गांव से पलायन कर पचेश्वरी स्कूल में शरण ले रखा था।