स्वरोजगार ने मत्स्य पालन को दिया बढ़ावा
जमुई। युवाओं की स्वरोजगार के प्रति जागरुकता ने मत्स्य पालन को बढ़ावा दिया है। जिले के खैरा प्रखंड अंतर्गत घनबेरिया गांव में युवा मत्स्य पालन को स्वरोजगार के रूप में अपना रहे हैं।
जमुई। युवाओं की स्वरोजगार के प्रति जागरुकता ने मत्स्य पालन को बढ़ावा दिया है। जिले के खैरा प्रखंड अंतर्गत घनबेरिया गांव में युवा मत्स्य पालन को स्वरोजगार के रूप में अपना रहे हैं। इससे जहां मत्स्य के उत्पादन में इजाफा हो रहा है, वहीं आर्थिक रूप से समृद्धि भी हो रहे हैं।
गांव के सरकारी और निजी आहर-तालाबों को मिलाकर लगभग एक दर्जन से ज्यादा जलाशयों में मत्स्य पालन का कार्य सफलता पूर्वक किया जा रहा है। अलग-अलग टोली बनाकर युवा मत्स्य पालन कर कर रहे हैं। इसके अगुवा बने प्रमोद सिंह ने पहले निजी तालाब की खोदाई कर मत्स्य पालन शुरू किया। देखादेखी गांव के अन्य युवकों ने भी समूह बनाकर गांव में जीर्ण-शीर्ण जलाशयों को दुरुस्त कर उसमें मत्स्य पालन का कार्य शुरू किया है। बड़ी बात यह है कि अब ये युवा शादी-विवाह के मौसम में थोक भाव में लोगों को मछली मुहैया करा रहे हैं।
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12 एकड़ से ज्यादा रकवा में बने तालाब :
घनबेरिया गांव में लगभग आधा दर्जन जलाशयों का निर्माण किया गया है। इसका कुल रकवा 12 एकड़ से भी ज्यादा है। गांव के फुटलाही, राजा पोखर, जलवा, खावा के अलावा प्रमोद द्वारा ली गई लीज की जमीन व निजी जमीन पर तालाब की खोदाई की गई है। इन जलाशयों में गांव के युवा बंगाल से बीज लाकर मत्स्य पालन कर रहे हैं।
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इन किस्म की मछलियां है उपलब्ध :
गांव के जलाशयों में मुख्य तौर पर रेहू, कतला, ग्रासकॉर्प, गोल्डन, मिर्गा आदि किस्म की मछलियां उपलब्ध है। मत्स्य पालकों के अनुसार अलग-अलग किस्म की मछलियां अलग-अलग सतह पर निवास करती है। ग्रासकॉर्प तालाब में घास को जमने नहीं देती है और यही उसका आहार होता है।
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कहते हैं मत्स्य पालक
मत्स्य पालक प्रमोद सिंह, अमोद सिंह, मुकेश सिंह आदि ने बताया कि इस रोजगार में उन्हें सरकारी मदद मिले तो वे बड़े पैमाने पर मत्स्य पालन की योजना पर काम करेंगे।