पुश्तैनी धंधा से मुंह मोड़ रहे कुम्हार
जमुई। पूर्व में कुम्हार दीपावली की महीनों पहले से तैयारी करते थे।
जमुई। पूर्व में कुम्हार दीपावली की महीनों पहले से तैयारी करते थे। जगह-जगह मिट्टी और दीपों को पकाने के लिए सामग्रियां एकत्रित की जाती थी। दीपावली के मौके पर दीपक व अन्य पात्र बेचकर इन लोगों को अच्छी आमदनी होती थी।
अब इस पेशे में वैसी बात नहीं रह गई है। दीपों की जगह अब चाइनिज लाइट ने ले ली है। ऐसे में इस समाज के लोग पुश्तैनी धंधे से मुंह मोड़ते जा रहे हैं।
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घट रही मिट्टी के दीये की मांग :
दीपावली का त्योहार आम लोगों के साथ कुम्हार के लिए भी खुशियां लेकर आती थी। अब चाइनीज लाइट के बढ़ते प्रचलन के कारण मिट्टी के दीया की मांग नहीं के बराबर रह गई है। फलस्वरुप दीपावली के मौके पर भी चाक से दीया बनाने वालों के घर में खुशी नहीं है। इन लोगों द्वारा कमोवेश जो दीया बनाया जाता है उसकी भी बिक्री नहीं के बराबर है। रोजी-रोटी की जुगाड़ में इस समाज के लोग दिल्ली, पंजाब आदि शहरों में भटकते हैं।
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कहते हैं कुम्हार समाज के लोग :
खैरा बाजार निवासी योगेन्द्र पंडित कहते हैं कि पहले दीपावली में अच्छी आमदनी होती थी, लेकिन अब दीया की शक्ल में लाइट बाजार में बिकने लगे हैं। लोग उसी का उपयोग करते हैं। वे लोग जो दीया बनाते है वह भी नहीं बिक पाता है। यही के नंदलाल पंडित कहते हैं कि पहले वे लोग सालों भर मिट्टी के बर्तन बेचते थे, लेकिन अब तो मेले में भी मिट्टी का खिलौना नहीं बिकता है। गुदर पंडित, राजो पंडित कहते हैं कि जब से सरकार ने छतदार मकान का प्रावधान किया है कोई खपड़ा खरीदने वाला भी नहीं मिलता है।