सैलानी परिवार ने की माता अन्नपूर्णा की पूजा
जमुई। वैदिक रीति से सैलानी परिवार ने शनिवार को सिमुलतला में किया माता अन्नपूर्णा की पूजा की।
जमुई। वैदिक रीति से सैलानी परिवार ने शनिवार को सिमुलतला में किया माता अन्नपूर्णा की पूजा की। यह पूजा सैलानी परिवार एवं स्थानीय ग्रामीणों के बीच एक-दूसरे के प्रेम और प्यार को दर्शाता है। कारण जब भाईचारा और प्रेम चरम का लक्ष्य छुता है तो एक दूसरे की परंपराएं, सभ्यता व संस्कृति स्वभाविक रूप से आदान-प्रदान होती है। इस बात को सिमुलतला आने वाला इस सैलानी परिवार ने विगत दस वर्षो से माता अन्नपूर्णा मां की प्रतिमा स्थापित कर विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना कर सच साबित किया है जिसमें स्थानीय लोगों का शारीरिक सहयोग इसमें मिठास घोलती है। कोलकाता के हुगली जिला के उत्तरपाड़ा निवासी देवाशीष गुप्तो अपने पूर्वजों की पुश्तैनी पूजा मां अन्नपूर्णा का पूजा-पाठ वैदिक रीति-रिवाज से सिमुलतला स्थित अपने उद्ययन कोठी में सिर्फ इसलिए करते हैं ताकि सिमुलतला क्षेत्रवासी को माता अन्नपूर्णा कभी भूखे न सुलाएं। साथ ही प्रेम, भाईचारा सिमुलतला आने वाले सैलानियों और क्षेत्रवासियों में जो पूर्व से है उसमें और मजबूती आए। कहते हैं कि पश्चिम बंगाल में माता अन्नपूर्णा मां की पूजा का बहुत ही महत्व है। यह पूजा मेरे परदादा चारुचंद्र गुप्तो के समय से होता आ रहा है। मेरे स्व. पिता नोनी गुप्तो की दिली इच्छा थी की यह पूजा सिमुलतला में हो। इसके पीछे का कारण यह था कि सिमुलतला क्षेत्रवासी माता के आशीर्वाद से हमेशा खुश व दो वक्त का अन्न आशीर्वाद स्वरूप मिलता रहा। मैं सिमुलतला में कोठी खरीदकर विगत 18 सालों से नियमित आ रहा हूं। मैंने सिमुलतला के सुदूरवर्ती क्षेत्रो के ग्रामीणों की गरीबी को करीब से महसूस किया हूं। पूजा विधि-विधान पूर्वक करने के लिए कोलकाता के विद्वान पंडित अशोक भट्टाचार्जी एवं शक्तिपदो चक्रवर्ती द्वारा किया गया। माता को आकारिक स्वरूप मूर्तिकार सुभाकर साहू कोलकाता ने गंगा जल और गंगा मिट्टी से दिया है। ढोल-नगाड़े की धुन में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच शनिवार की सुबह पूजा प्रारंभ हुआ जो देर शाम में जाकर संपन्न होगा। माता के पूजा उपरांत माता के भोग का प्रसाद, नारायण भोज क्षेत्र के सैकड़ों लोगों को ग्रहण कराया जाएगा। पूजा में स्थानीय शंभू सिंह एवं राजू रजक का सहयोग सराहनीय है।